राष्ट्रीय राजधानी में अवैध भूजल दोहन रोकने के लिए सरकारी एजेंसियों की सतर्कता का नजारा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कोई भी एजेंसी यह नहीं बता पा रही है कि कार्रवाई की जिम्मेदारी किसकी है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने इस स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता की बात की है।
एनजीटी का निर्देश: एनजीटी ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे पता लगाएं कि अवैध भूजल दोहन से संबंधित मामलों में कार्रवाई की जिम्मेदारी किस एजेंसी की है। इसके साथ ही उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई और प्रस्तावित कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट भी पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 3 सितंबर को होगी।
विभिन्न एजेंसियों की स्थिति: अवैध भूजल दोहन के मामले में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने एनजीटी को बताया कि इस पर कार्रवाई करना उनकी जिम्मेदारी है। वहीं, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने कहा कि अधिकृत अधिकारी इस संबंध में कार्रवाई के लिए बाध्य हैं और दिल्ली सरकार के उपायुक्त (राजस्व) इसके लिए जिम्मेदार होंगे। हालांकि, कोई भी एजेंसी इस बात पर स्पष्ट नहीं हो पा रही है कि कार्रवाई की जिम्मेदारी वास्तव में किसकी है।
सीसीटीवी कैमरे लगाने में भेदभाव का मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्वी दिल्ली की लक्ष्मी नगर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक अभय वर्मा की याचिका पर मुख्य सचिव को फैसला लेने को कहा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीसीटीवी कैमरे केवल उन इलाकों में लगाए जा रहे हैं जहां आम आदमी पार्टी के विधायक चुने गए हैं। इससे सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।
सरकारी प्रतिक्रियाएं: दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि उन्हें भूजल दोहन के नियमन के लिए जिम्मेदार अधिकारी के बारे में जानकारी नहीं है और वे इस संबंध में निर्देश लेकर एनजीटी को सूचित करेंगे। गौरव कुमार बंसल ने अवैध भूजल दोहन के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश देने की मांग की है।
साइस स्थिति को सुधारने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकारी एजेंसियों को अवैध भूजल दोहन रोकने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से समझना और उन पर अमल करना होगा, ताकि पर्यावरणीय क्षति को कम किया जा सके और जल संसाधनों की रक्षा की जा सके।
नई दिल्ली में अवैध भूजल दोहन की रोकथाम के लिए जिम्मेदारी की अस्पष्टता और सरकारी एजेंसियों की निष्क्रियता एक गंभीर समस्या है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा उठाए गए कदम इस बात की ओर इशारा करते हैं कि अवैध गतिविधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है। अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से समझना और उन्हें निभाना होगा। इस स्थिति के समाधान के लिए एक समन्वित और पारदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
भूजल दोहन को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है कि विभिन्न एजेंसियों और स्थानीय अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल हो और वे एक संयुक्त रणनीति के तहत काम करें। इसके साथ ही, नागरिकों को भी अवैध गतिविधियों की सूचना देने और जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करने की जरूरत है।
सही दिशा में उठाए गए ठोस कदम न केवल जल संसाधनों की रक्षा करेंगे, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करेंगे। इस दिशा में उठाए गए तत्काल कदम और पारदर्शिता से ही भविष्य में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
Source- दैनिक जागरण