इस्राइल-गाजा संघर्ष मानव जाति के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं। यह संघर्ष न केवल अब तक हजारों लोगों की जिंदगी को निगल चुका है बल्कि पर्यावरण के लिए भी भयावह साबित हो रहा है। इस युद्ध के कारण गाजा का पानी, मिट्टी और हवा तबाह हो चुके हैं।
दुनियाभर में अब आर्थिक और मानवीय नुकसान के भारी आंकड़े उभर रहे हैं। इस क्षेत्र को अब गंभीर रूप से प्रदूषित होने की भी चिंता सता रही है।एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस्राइल-गाजा संघर्ष के पहले 120 दिनों में उत्सर्जन करीब 26 देशों के वार्षिक उत्सर्जन से भी अधिक रहा। वहीं, इस्राइल और हमास ने इस दौरान युद्ध को लेकर जो निर्माण किए हैं यदि उनको भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो यह उत्सर्जन 36 देशों के कुल उत्सर्जन में भी ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2023 से फरवरी 2024 के शुरुआती 120 दिनों में औसत तौर पर युद्ध के वजह से 5,36,410 टन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का उत्सर्जन हुआ जो बढ़कर 6,52,552 टन तक पहुंच सकता है। इस अवधि के दौरान युद्ध का असर न सिर्फ कार्बन उत्सर्जन पर बल्कि हवाई हमलों और भूमि तात्कालिकता में काफी तेजी देखी गई।गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले आठ महीनों में युद्ध संघर्ष गाजा में 37,347 जिंदगी निगल चुका है और 85,372 लोग घायल हो चुके हैं। इस संघर्ष ने हजारों घरों को ध्वस्त कर दिया है, जिससे अब लाखों लोग गंभीर रूप से प्रभावित हो चुके हैं।
रिपोर्ट में संघर्ष के जलवायु पर दीर्घकालिक प्रभावों के बेहद गंभीर होने की बात कही गई है। संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशंस) ने ऐसे संघर्षों के प्रभाव के तात्कालिक रिपोर्टिंग और इसके प्रभाव को कम करने के लिए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता बताई है।रिपोर्ट के मुताबिक इस संघर्ष के दौरान 120 दिनों में हुई उत्सर्जन की मात्रा 10 प्रतिशत वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है।
इस्राइल-गाजा संघर्ष ने इस तरह के वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के लिए एक और चुनौती पैदा कर दी है। अगर इस युद्ध को जल्द नहीं रोका गया तो इसके कारण पर्यावरणीय संकट और बढ़ सकता है।
स्रोत – अमर उजाला नेटवर्क