अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस, जो सितंबर के पहले शनिवार को मनाया जाता है, इस साल एक बार फिर गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका को सामने लाने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन गिद्धों के संकटग्रस्त स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है, जो अक्सर नजरअंदाज किए जाते हैं।
गिद्ध, जिन्हें अक्सर नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है, वास्तव में पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण सफाईकर्मी हैं। ये पक्षी सड़े हुए मांस का सेवन कर वातावरण को स्वच्छ रखने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया से बीमारियों के प्रसार को कम किया जाता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
हाल के वर्षों में गिद्धों की संख्या में तेज़ गिरावट आई है। इसके पीछे मुख्य कारणों में उनके प्राकृतिक आवास की समाप्ति, भोजन की कमी और जानवरों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली विषाक्त दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं के अवशेष गिद्धों के लिए घातक साबित हो रहे हैं, जो उनकी मौत का एक प्रमुख कारण बन रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने गिद्धों को गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में रखा है। हालांकि, हाल ही में भारत के कुछ राज्यों में गिद्धों की आबादी में वृद्धि देखी गई है। तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बाघ अभयारण्यों में गिद्धों की संख्या बढ़ी है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
सर्वेक्षण के अनुसार, तमिलनाडु के मुदुमलाई और सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व में गिद्धों की सबसे अधिक संख्या पाई गई है। इनमें सफेद पूंछ वाले गिद्ध, लंबी चोंच वाले गिद्ध, एशियाई राज गिद्ध और हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस का मुख्य उद्देश्य गिद्धों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। यह दिन हमें गिद्धों की रक्षा के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा देता है और उनके संरक्षण के लिए सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। गिद्धों की भलाई और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा के लिए निरंतर प्रयासों की जरूरत है ताकि ये महत्वपूर्ण पक्षी हमारी पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रख सकें।
अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस हमें गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका और उनकी संकटग्रस्त स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में स्वच्छता बनाए रखने, बीमारियों के प्रसार को नियंत्रित करने और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में एक अनिवार्य भूमिका निभाते हैं। हाल के वर्षों में उनकी संख्या में आई गिरावट चिंताजनक है, लेकिन भारत के कुछ क्षेत्रों में उनके संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों से आशा की किरण नजर आती है।
हमें गिद्धों की सुरक्षा के लिए निरंतर जागरूकता और संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है। यह न केवल इन पक्षियों की जीवन रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य केवल गिद्धों की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाना नहीं है, बल्कि उनके संरक्षण के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की दिशा में प्रेरित करना भी है।
source- down to earth