ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर नए अध्ययन की पहल

saurabh pandey
4 Min Read

जलवायु परिवर्तन के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है और वर्षा का पैटर्न बदल रहा है। ग्लेशियरों के पिघलने और भूजल स्तर में गिरावट में भी जलवायु परिवर्तन की अहम भूमिका मानी जा रही है। इस दिशा में केंद्र सरकार ने एक नवाचार किया है जिससे ग्लोबल वार्मिंग पर अध्ययन को नई दिशा मिलेगी।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • निगरानी समिति की स्थापना: अब देश में अलग-अलग संस्थान ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन करेंगे, लेकिन इसकी निगरानी एक समिति करेगी। इससे सभी संस्थान एक राय होकर एक लक्ष्य की ओर बढ़ सकेंगे।
  • ग्लेशियर और जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र: रुड़की स्थित राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) में क्रायोस्फीयर एवं जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है।
  • पोर्टल का विकास: जल शक्ति मंत्रालय ने सभी शोध कार्यों की जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए पोर्टल विकसित करने के निर्देश दिए हैं। यह पोर्टल सी-डैक पुणे द्वारा तैयार किया जाएगा।

डॉ. सुरजीत सिंह के अनुसार:

  • ग्लेशियर पर अध्ययन: नेपाल, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन जैसे देश ग्लेशियर पर अध्ययन कर रहे हैं। भारत में भी इसरो, एसएसी अहमदाबाद, एनसीपीओआर, आईआईआरएस आदि 12 से अधिक संस्थान अध्ययन कर रहे हैं।
  • मैनपावर और बजट का अनावश्यक उपयोग: अलग-अलग संस्थानों द्वारा अध्ययन करने से मैनपावर और बजट का अनावश्यक उपयोग हो रहा है।
  • हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियर: केंद्र सरकार ने हिमालय क्षेत्र के चार ग्लेशियरों की निगरानी शुरू कर दी है। एनआईएच रुड़की वर्ष 2002 से गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी कर रहा है।
  • समिति का गठन: ग्लेशियर की निगरानी के लिए एक संचालन समिति का गठन किया गया है जो अद्यतन जानकारी के आधार पर अध्ययन की दिशा तय करेगी और केंद्र सरकार को हर छह महीने में अपडेट देगी।

अन्य बिंदु:

  • तीन नए ग्लेशियरों की निगरानी: एनआईएच रुड़की ने हिमालय के तीन और ग्लेशियरों की निगरानी शुरू कर दी है जिनमें उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित मिलम ग्लेशियर, टिहरी जिले का खतलिंग ग्लेशियर और हिमाचल प्रदेश का त्रिलोकीनाथ ग्लेशियर शामिल हैं।
  • बहुविषयक दृष्टिकोण: बर्फ और ग्लेशियर प्रबंधन के लिए यह केंद्र बहुविषयक दृष्टिकोण के माध्यम से मौजूदा अंतर को पाटने का काम करेगा।

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न संस्थानों के अध्ययन को समन्वित करने और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रुड़की स्थित राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) में क्रायोस्फीयर एवं जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र की स्थापना से न केवल अध्ययन को एक नई दिशा मिलेगी, बल्कि विभिन्न संस्थानों के बीच डेटा साझा करने और मैनपावर एवं बजट के अनावश्यक उपयोग को भी रोका जा सकेगा।

ग्लेशियरों की निगरानी और जलवायु परिवर्तन पर व्यापक अध्ययन के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। इस पहल से भारत ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपने प्रयासों को और अधिक प्रभावी बना सकेगा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी भूमिका को मजबूत करेगा।

source and data – दैनिक जागरण

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *