भारत ने 70 फीसदी से अधिक चीता शावकों को बचाकर दुनिया को चौंकाया

saurabh pandey
3 Min Read

भारत ने चीतों के संरक्षण में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है, जिससे वन्यजीवों के विशेषज्ञों और संरक्षणकर्ताओं को आश्चर्यचकित कर दिया है। मात्र दो वर्षों में, देश ने 17 चीतों के शावकों में से 12 को सुरक्षित रखा है, जो कि विश्व स्तर पर एक बड़ी उपलब्धि है। एक अध्ययन के अनुसार, आमतौर पर दुनिया में पैदा होने वाले चीतों में से केवल 10% ही जीवित बचते हैं।

चीतों की बढ़ती संख्या

यह सफलता उन चीतों के शावकों की है, जो भारतीय धरती पर जन्मे हैं। चीता संरक्षण परियोजना की शुरुआत सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ चीतों के साथ हुई थी, जिसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों की खेप लाई गई। इस परियोजना का उद्देश्य अधिक शावकों को बचाना है, खासकर जब पूरी दुनिया में चीतों की मृत्यु दर बहुत अधिक है।

विशेषज्ञों की मेहनत

देश के वन्यजीव विशेषज्ञों ने इस चुनौती का सामना करने के लिए पचास से अधिक शोधकर्ताओं की टीम का गठन किया। उनके अनुभव और मेहनत ने चीतों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परियोजना के तहत अब नए स्थलों पर चीतों को रखने की योजना बनाई जा रही है, जिसमें मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य का विकास किया जा रहा है।

आगे का रास्ता

रिपोर्ट के अनुसार, चीतों के संरक्षण के लिए उचित बाड़ों का निर्माण किया जाएगा, जो उनके लिए सुरक्षित माहौल प्रदान करेंगे। यह बाड़ा 64 वर्ग किमी में फैला होगा। आने वाले वर्षों में, भारत एशियाई शेरों और बाघों की तरह चीतों के संरक्षण में भी महारथ हासिल कर लेगा।

भारत की यह सफलता न केवल चीतों की संख्या बढ़ाने में मदद कर रही है, बल्कि यह संरक्षण प्रयासों में एक नई उम्मीद भी जगा रही है। आने वाले समय में, यदि ऐसे ही प्रयास जारी रहे, तो भारत में चीतों की स्थिति में और सुधार संभव है।

भारत की चीता संरक्षण परियोजना ने न केवल 70 फीसदी शावकों को सुरक्षित रखने की अद्भुत सफलता हासिल की है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी प्रस्तुत करती है कि कैसे वैज्ञानिक शोध और विशेषज्ञता का समुचित उपयोग करके वन्यजीवों के संरक्षण में प्रभावी बदलाव लाया जा सकता है। इस परियोजना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उचित योजना, सहयोग और समर्पण के माध्यम से, भारत चीतों के संरक्षण में एक मॉडल स्थापित कर सकता है। यदि ये प्रयास जारी रहते हैं, तो न केवल चीतों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भी यह प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। भारत की यह सफलता वन्यजीव संरक्षण के लिए एक नई उम्मीद की किरण है।

Source- dainik jagran

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *