भारत और चीन जैसे देशों में जलवायु परिवर्तन के असर से बड़े आर्थिक नुकसान की आशंका जताई गई है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की हालिया रिपोर्ट, एशिया-प्रशांत जलवायु रिपोर्ट 2024, में चेतावनी दी गई है कि यदि जलवायु संकट के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहती है, तो 2070 तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 24.7 फीसदी तक घट सकता है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर संकट का संकेत है।
रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर उन इलाकों में देखने को मिलेगा जो पहाड़ी और ढलान वाले हैं। भारत और चीन के पहाड़ी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण औसत तापमान में 4.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि का अनुमान है, जिससे भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में 30 से 70 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है। ऐसे घटनाओं का प्रभाव न केवल पर्यावरण बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक स्थिरता पर भी पड़ सकता है।
समुद्र के बढ़ते स्तर और श्रम उत्पादकता पर असर
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समुद्र स्तर में वृद्धि और घटती श्रम उत्पादकता इस नुकसान के दो मुख्य कारण होंगे। गर्मी के प्रभाव से श्रम उत्पादकता में कमी और मौसम की चरम स्थिति से खेती, उद्योग, और सेवाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इसका सबसे ज्यादा असर निम्न आय वर्ग और कमजोर अर्थव्यवस्थाओं पर होगा। इसके परिणामस्वरूप, गरीबी और बेरोजगारी की दर में वृद्धि हो सकती है, जिससे सामाजिक असमानताएं और भी बढ़ सकती हैं।
तटीय क्षेत्रों में बढ़ते खतरे
एडीबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जलवायु संकट के कारण 30 करोड़ लोग तटीय बाढ़ के खतरे में पड़ सकते हैं। अगर वैश्विक तापमान में वृद्धि होती रही, तो हर साल तटीय क्षेत्रों में खरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हो सकता है। विशेष रूप से भारत के तटीय क्षेत्र जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, और ओडिशा में समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण भारी नुकसान की संभावना है।
रिपोर्ट का महत्व और भविष्य के कदम
एडीबी की यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को लेकर चेतावनी देती है और इसके समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता की ओर संकेत करती है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि सही समय पर उपाय नहीं किए गए, तो जलवायु संकट का असर केवल पर्यावरण पर नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। रिपोर्ट में देशों से अपील की गई है कि वे अपनी जलवायु नीतियों को सख्ती से लागू करें और उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विश्व स्तर पर सहयोग बढ़ाएं।
भारत में इस रिपोर्ट का विशेष महत्व है, क्योंकि यहां की अधिकांश आबादी कृषि और तटीय क्षेत्रों पर निर्भर है, और जलवायु परिवर्तन के कारण इन क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तन भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर एक गंभीर चेतावनी है, विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों के लिए। अगर जलवायु संकट में तेजी आई, तो भारत का जीडीपी 2070 तक 24.7 फीसदी तक घट सकता है, जो अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित होगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि समुद्र के बढ़ते स्तर और घटती श्रम उत्पादकता के कारण नुकसान की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। इसके अलावा, तटीय क्षेत्रों में बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारी वित्तीय नुकसान का खतरा बना हुआ है।
यह रिपोर्ट इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर और स्थानीय स्तर पर समन्वित उपायों की आवश्यकता है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो न केवल पर्यावरण, बल्कि सामाजिक और आर्थिक असमानताएं भी गहरी हो सकती हैं। इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करना न केवल पर्यावरण की रक्षा के लिए, बल्कि आर्थिक स्थिरता और सामाजिक कल्याण के लिए भी अनिवार्य है।