15 साल से कम उम्र के बच्चों में इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की बढ़ती घटनाएं

saurabh pandey
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हाल ही में चार राज्यों में इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है, जिससे 59 लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले एक महीने में एईएस के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। जून से लेकर अब तक कुल 148 मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें से 59 लोगों की मौत हो चुकी है। गुजरात में 15 साल से कम उम्र के बच्चों में एईएस के मामले सबसे अधिक देखे जा रहे हैं।

31 जुलाई तक, गुजरात के 24 जिलों में 140 मामले सामने आए हैं, जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ जिलों में भी मरीज मिले हैं। प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें बताया गया कि 19 जुलाई से मामलों की संख्या में कमी आई है।

गुजरात में इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे कीटनाशक का छिड़काव, चिकित्सा कर्मियों को जागरूक करना, और मरीजों को समय पर इलाज के लिए रेफर करना। राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल (एनजेओआरटी) भी इस स्थिति में सहायता के लिए गठित किया गया है।

भारत का नया मास्टर प्लान पारंपरिक चिकित्सा के लिए

नई दिल्ली। भारत सरकार ने पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार किया है। इस योजना के तहत, अगले आठ वर्षों में आयुर्वेद, होम्योपैथी, और यूनानी चिकित्सा पर लगभग 711 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस संबंध में भारत सरकार ने जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता 2032 तक सक्रिय रहेगा और डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के समर्थन में भारत का 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश का हिस्सा है।

इस पहल में पारंपरिक चिकित्सा की पहुंच बढ़ाने और उसके विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका को मजबूत किया जा सके।

हाल ही में इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामलों में अचानक वृद्धि और चार राज्यों में हुई मौतों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता को बढ़ा दिया है। जबकि गुजरात और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में एईएस की रोकथाम के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, अभी भी इस गंभीर स्वास्थ्य संकट को नियंत्रित करने के लिए ठोस और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।

दूसरी ओर, पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार का नया मास्टर प्लान एक सकारात्मक कदम है। आयुर्वेद, होम्योपैथी, और यूनानी चिकित्सा के विकास के लिए 711 करोड़ रुपये के निवेश की योजना न केवल पारंपरिक चिकित्सा की लोकप्रियता को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को भी सशक्त करेगी।

दोनों ही पहलें, एईएस की रोकथाम और पारंपरिक चिकित्सा के समर्थन में, भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की व्यापक रणनीतियों का हिस्सा हैं। इन प्रयासों से उम्मीद की जा रही है कि स्वास्थ्य संकटों के प्रबंधन और चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ किया जा सकेगा।

Source and data – अमर उजाला

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