दिल्ली-एनसीआर में वाहनों पर बढ़ते प्रतिबंध: GRAP से प्रदूषण पर कड़ी लगाम

saurabh pandey
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वायु प्रदूषण से लगातार जूझ रही दिल्ली-एनसीआर में इस बार वाहनों पर कड़े प्रतिबंध लागू किए जा रहे हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने इस वर्ष ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत नए नियमों और प्रतिबंधों की घोषणा की है। प्रदूषण नियंत्रण के इस अभियान में इस बार वाहनों पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला धुआं दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को बिगाड़ने का एक प्रमुख कारण है।

GRAP, जो हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण के गंभीर स्तर से निपटने के लिए लागू किया जाता है, इस बार 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा। इसमें कई नए प्रतिबंध जोड़े गए हैं, विशेषकर दिल्ली में पंजीकृत और अन्य राज्यों से आने वाले डीजल वाहनों पर।

GRAP का तीसरा चरण: पहले से ज्यादा सख्त

GRAP के तीसरे चरण में इस बार वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के 401 से 450 के बीच होने पर 11 प्रमुख प्रतिबंध लागू किए जाएंगे। पिछले साल जहां इसी श्रेणी में 8 प्रतिबंध थे, इस साल तीन नए प्रतिबंध जोड़े गए हैं।

इनमें सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबंध डीजल चालित वाहनों पर लगाया गया है। दिल्ली में पंजीकृत और बीएस-3 या उससे नीचे के डीजल वाहनों पर प्रतिबंध के अलावा, दिल्ली से बाहर पंजीकृत डीजल वाहन, जो बीएस-3 मानक या उससे नीचे के हैं, उन्हें भी राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि ये वाहन प्रदूषण का बड़ा स्रोत माने जाते हैं।

अंतरराज्यीय बसों पर सख्ती

प्रदूषण कम करने के लिए अंतरराज्यीय बसों पर भी सख्त निगरानी रखी जाएगी। केवल वही बसें, जो बीएस-VI मानक की इलेक्ट्रिक, सीएनजी या स्वच्छ ईंधन से चलती हैं, उन्हें दिल्ली में प्रवेश की अनुमति होगी। इससे राजधानी में प्रदूषण फैलाने वाले पुराने मॉडल की बसों की संख्या में कमी आएगी।

हल्के वाणिज्यिक वाहनों पर प्रतिबंध

दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने वाले डीजल से चलने वाले हल्के वाणिज्यिक वाहनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि, इस प्रतिबंध से आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति में शामिल वाहनों को छूट दी गई है, ताकि शहर की आवश्यक जरूरतों पर कोई असर न पड़े।

12 सदस्यीय उपसमिति की निगरानी

वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए गठित 12 सदस्यीय उपसमिति को GRAP के तहत लागू होने वाले प्रतिबंधों पर नजर रखने और उन्हें लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस समिति का नेतृत्व आयोग के तकनीकी सदस्य डॉ. एनपी शुक्ला करेंगे। इसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और अन्य एनसीआर राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति प्रदूषण के पूर्वानुमान के आधार पर प्रतिबंधों को लगाने या हटाने का निर्णय लेगी, और साथ ही विभिन्न विभागों द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगी।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए नया कदम

इस बार GRAP में कई नए कदम उठाए जा रहे हैं, जिनका सीधा संबंध वाहनों से है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया गया और लोगों ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाई, तो दिल्ली की हवा में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। राजधानी में प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए जा रहे इन कड़े कदमों का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर वाहनों से निकलने वाले धुएं को नियंत्रित करना है, जो दिल्ली के वायु गुणवत्ता में सुधार लाने का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।

इस बार GRAP के तहत उठाए गए कदम प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर की सबसे बड़ी लड़ाई मानी जा रही है, और इसका प्रभाव जल्द ही राजधानी की हवा में महसूस किया जा सकता है।

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस बार ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। विशेष रूप से वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंध, प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक अहम पहल हैं। बीएस-3 डीजल वाहनों पर रोक, स्वच्छ ईंधन वाली बसों का उपयोग, और हल्के वाणिज्यिक वाहनों पर प्रतिबंध जैसे उपाय प्रदूषण के खिलाफ एक बड़ा कदम साबित हो सकते हैं।

12 सदस्यीय उपसमिति द्वारा इन प्रतिबंधों की निगरानी और कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा, जो यह तय करेगी कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कौन से उपाय प्रभावी साबित हो रहे हैं।

अगर सरकार और आम जनता इन नियमों का पूरी सख्ती से पालन करती है, तो आने वाले समय में दिल्ली की हवा में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है। प्रदूषण के खिलाफ यह लड़ाई तभी सफल होगी, जब सभी लोग मिलकर इसमें अपना योगदान देंगे।

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