पंजाब में धान की कटाई शुरू होते ही पराली जलाने की घटनाएं फिर से तेजी से बढ़ने लगी हैं। राज्य के कई जिलों में खेतों से उठता हुआ धुआं अब शहरों तक पहुंचने लगा है, जिससे वायु गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। 19 सितंबर तक पराली जलाने के केवल 15 मामले सामने आए थे, लेकिन 22 सितंबर तक इनकी संख्या बढ़कर 63 हो गई। सबसे ज्यादा मामले अमृतसर जिले में दर्ज हुए हैं, जहां 45 स्थानों पर पराली जलाने की खबरें आई हैं।
पराली जलाने की ये घटनाएं मुख्य रूप से उन जिलों में हो रही हैं, जहां अगेती धान की फसल बोई गई थी, जैसे कि अमृतसर, तरनतारन और फिरोजपुर।
पराली जलाने पर नियंत्रण के प्रयास
कई वर्षों से पराली जलाने की समस्या पंजाब और आसपास के राज्यों में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसे रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों ने मिलकर कई योजनाएं और अभियान चलाए हैं। किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं और वैकल्पिक समाधानों के बारे में जानकारी दी गई है।
लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद, पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है। इस साल, धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो गया है और अब सरकार ने इस पर सख्ती से अंकुश लगाने का निर्णय लिया है।
सरकार ने चेतावनी दी है कि जो किसान पराली जलाते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पराली जलाने वाले किसानों को नए शस्त्र लाइसेंस या उनके नवीनीकरण की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर जुर्माना भी लगाया जाएगा, जो प्रति एकड़ 5,000 से 10,000 रुपये तक हो सकता है। यदि गांव के सरपंच, पंच, नंबरदार, आढ़तिया या सरकारी कर्मचारी पराली जलाते हैं, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ रेड एंट्री भी की जाएगी।
पिछले वर्षों के मुकाबले इस साल की स्थिति
वर्ष 2023 में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले वर्षों की तुलना में कुछ कमी देखी गई है। 22 सितंबर 2022 तक 136 मामले सामने आए थे, जबकि 2023 में यह संख्या घटकर 63 रह गई है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के चेयरमैन डॉ. आदर्शपाल विग का कहना है कि इस साल पराली प्रबंधन पर अधिक ध्यान दिया गया है। उन्होंने बताया कि गांव स्तर पर पराली को एकत्र कर उसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की योजनाओं पर काम किया गया है, ताकि किसानों को पराली जलाने से रोका जा सके।
पराली जलाने के प्रभाव और समाधान
पराली जलाने से निकलने वाला धुआं न केवल स्थानीय क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह शहरों तक पहुंच रहा है, जिससे वहां की हवा भी प्रदूषित हो रही है। हर साल सर्दियों के मौसम में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता खराब होती है, और इसका एक बड़ा कारण पराली जलाना है।
हालांकि सरकार ने पराली जलाने को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान अभी भी चुनौती बना हुआ है। किसानों का कहना है कि उनके पास पराली को नष्ट करने का कोई सस्ता और कारगर विकल्प नहीं है, इसलिए वे मजबूरी में इसे जलाते हैं।
इसके समाधान के लिए किसानों को बेहतर उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराना जरूरी है। सरकार द्वारा पराली के प्रबंधन के लिए मशीनरी उपलब्ध कराने की योजनाओं को तेजी से लागू करने की आवश्यकता है, ताकि किसान पराली जलाने के बजाय उसे सही तरीके से नष्ट कर सकें।
पराली जलाना पंजाब में हर साल एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है, जिसका असर न केवल स्थानीय इलाकों पर, बल्कि बड़े शहरों की वायु गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने के साथ-साथ किसानों को जागरूक और सहयोग प्रदान करना बेहद जरूरी है। पराली प्रबंधन के लिए वैकल्पिक उपायों और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर, इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
जब तक किसानों और सरकार के बीच सामंजस्य नहीं बनेगा और पराली जलाने के लिए प्रभावी समाधान नहीं निकाले जाएंगे, तब तक यह समस्या हर साल लौटती रहेगी और इसका असर लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता रहेगा।
पराली जलाने की समस्या पंजाब और उसके आसपास के राज्यों में हर साल वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बनती जा रही है। इसे रोकने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं और किसानों को जागरूक करने के प्रयास किए हैं, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान अभी भी दूर है।
किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए वैकल्पिक साधनों की उपलब्धता और उनकी समस्याओं को समझकर काम करने की आवश्यकता है। पराली प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक और उपकरणों का व्यापक स्तर पर उपयोग करना जरूरी है, ताकि किसान पराली जलाने के बजाय उसे सही तरीके से नष्ट कर सकें।
यह स्पष्ट है कि पराली जलाने की समस्या का समाधान तब ही संभव है, जब सरकार, किसान, और स्थानीय समुदाय मिलकर इस दिशा में काम करें। जागरूकता के साथ-साथ ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि आने वाले समय में वायु प्रदूषण से बचा जा सके और नागरिकों को स्वच्छ हवा मिल सके।
Source- dainik jagran