हाल ही में जारी एक अध्ययन ने स्पष्ट किया है कि बढ़ती मानव गतिविधियों के कारण भूमि उपयोग में आ रहे बदलावों ने 303.8 करोड़ हेक्टेयर भूमि को गंभीर दबाव में डाल दिया है। यह रिपोर्ट, अंतरराष्ट्रीय संगठन द नेचर कन्जर्वेंसी द्वारा की गई रिसर्च पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि बढ़ती जनसंख्या, कृषि विस्तार, वन विनाश, शहरीकरण और औद्योगिक गतिविधियों के चलते 23 फीसदी भूमि पर गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
अछूती भूमि पर खतरा
शोध के अनुसार, भूमि उपयोग में हो रहे बदलावों का असर अब तक अछूती 46 करोड़ हेक्टेयर से अधिक भूमि पर पड़ सकता है। ये क्षेत्र पर्यावरण, जैव विविधता और कार्बन भंडारण के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। शोधकर्ताओं ने एक किलोमीटर रिजॉल्यूशन का वैश्विक मानचित्र तैयार किया है, जो दर्शाता है कि किस क्षेत्र में बदलाव की आशंका है। कन्वर्जन प्रेशर इंडेक्स (CPI) का उपयोग यह दिखाने के लिए किया गया है कि मानव गतिविधियाँ भूमि पर कितना दबाव डाल रही हैं।
खतरनाक प्रवृत्तियाँ
पिछले दो दशकों में, इंसानी गतिविधियों के कारण प्राकृतिक आवासों में नाटकीय परिवर्तन हुए हैं, जिसके चलते वैश्विक जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता में भारी कमी आई है। एक अन्य अध्ययन ने भविष्यवाणी की है कि 2050 तक भूमि उपयोग में 40 फीसदी तक बदलाव हो सकता है, विशेष रूप से ऊर्जा, खनन और औद्योगिक गतिविधियों के कारण।
वास्तविकता की तस्वीर
रिपोर्ट के अनुसार, अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में बड़े पैमाने पर भूमि उपयोग में बदलाव देखे जा रहे हैं। मलेशिया सहित 48 देशों में यह दबाव अत्यधिक है, जिसमें 19 अफ्रीकी देश, 13 मध्य अमेरिका के देश, और 16 पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया के देश शामिल हैं।
संरक्षण की आवश्यकता
इस स्थिति से निपटने के लिए तत्काल संरक्षण के सक्रिय प्रयासों की आवश्यकता है। 2022 में, भारत और 200 अन्य देशों ने ‘कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क’ के तहत जैव विविधता के संरक्षण और प्रबंधन का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसमें 2030 तक 30 फीसदी भूमि, जल और तटीय क्षेत्रों के संरक्षण का लक्ष्य था। हालांकि, वर्तमान प्रगति को देखते हुए इन लक्ष्यों को हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
आगे का रास्ता
मानव गतिविधियों के बढ़ते प्रभावों को देखते हुए, अगर समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यह रिपोर्ट एक स्पष्ट संकेत है कि हमें अब कार्रवाई करनी होगी ताकि प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सतत और स्थिर वातावरण प्रदान किया जा सके।
मानव गतिविधियों के बढ़ते प्रभावों ने भूमि उपयोग में व्यापक बदलावों और संकटों को जन्म दिया है, जो 303.8 करोड़ हेक्टेयर भूमि को गंभीर दबाव में डाल रहे हैं। इन बदलावों का असर अब तक अछूती बची भूमि पर भी पड़ सकता है, जो पर्यावरण और जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
वैश्विक स्तर पर भूमि उपयोग में आ रहे बदलावों ने प्राकृतिक आवासों, जैव विविधता और कार्बन भंडारण को खतरे में डाल दिया है। मानव गतिविधियों के कारण हो रहे इन परिवर्तनों से निपटने के लिए तत्काल और सक्रिय संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है।
2022 में किए गए अंतरराष्ट्रीय समझौतों के बावजूद, वर्तमान प्रगति के आधार पर यह स्पष्ट है कि इन लक्ष्यों को हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यदि हम समय पर उचित कदम नहीं उठाते, तो भविष्य की पीढ़ियों को गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
अतः यह आवश्यक है कि हम अपनी पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को समझें और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए ठोस उपाय करें ताकि एक स्थिर और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
Source and data – down to earth