सोनभद्र के डोंगिया जलाशय के आसपास के आरक्षित वन क्षेत्र में हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। रेणुकूट के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) ने 22 अगस्त 2024 को एक हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि नगर पंचायत पिपरी के अधिकारी इस क्षेत्र में चल रही अवैध गतिविधियों में शामिल थे। यह मामला विशेष रूप से वन भूमि पर अतिक्रमण और वन्यजीवों के आवास पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता पैदा कर रहा है।
अवैध अतिक्रमण और वन कटाई
रिपोर्ट के अनुसार, डोंगिया जलाशय के आरक्षित वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध गतिविधियां हो रही हैं। यहां पेड़ों की कटाई की गई है, जिससे जंगल, वन्यजीव और जलीय जीवों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। नगर पंचायत पिपरी के अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी के साथ-साथ उनके रिश्तेदारों द्वारा किए गए इस अतिक्रमण में उनका प्रमुख हाथ था।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अवैध गतिविधियों के लिए वन क्षेत्र की साज-सज्जा की गई है, जिसमें सड़कों का अवैध विस्तार, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और लोहे के गेट लगाना शामिल है। इसके परिणामस्वरूप वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास और पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है।
वन्यजीवों पर प्रभाव
डोंगिया जलाशय के आरक्षित वन क्षेत्र में हिरण, तेंदुआ, साही, भेड़िये, मोर, लंगूर और बंदर जैसे विभिन्न वन्य जीव निवास करते हैं। इसके अलावा, जलाशय के तालाब में मगरमच्छों का बसेरा है, जो एक द्वीप पर धूप सेंकते हैं। अवैध गतिविधियों और अतिक्रमण के कारण इन वन्य जीवों की सुरक्षा और उनके आवास को गंभीर खतरा हो गया है।
प्रशासनिक कार्रवाई
रिपोर्ट में बताया गया है कि वन विभाग ने इस अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। सड़क के अवैध विस्तार को तुरंत रोका गया है और अन्य अवैध गतिविधियों के खिलाफ भी कदम उठाए गए हैं। नगर पंचायत पिपरी-सोनभद्र के अधिशासी अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह, विजय बहादुर सिंह, दिग्विजय सिंह और अनिल कुमार पर आरोप हैं कि वे अवैध रूप से पेड़ काटने, लोहे का गेट लगाने और जमीन पर अतिक्रमण करने में शामिल थे।
न्यायालय को जानकारी
इस मामले में एनजीटी के 10 मई 2024 के आदेश पर डीएफओ ने अदालत में हलफनामा पेश किया है। इस हलफनामे में, उन्होंने वन क्षेत्र की मौजूदा स्थिति और हाल की घटनाओं की जानकारी दी है। वन विभाग ने इस मामले में किए गए उपायों और प्रशासनिक सुधारों की जानकारी भी प्रदान की है।
सोनभद्र के आरक्षित वन क्षेत्र में पंचायत अधिकारियों की मिलीभगत से चल रही अवैध गतिविधियां और अतिक्रमण ने क्षेत्र की पारिस्थितिकी और वन्य जीवों की सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इस मामले में सख्त कार्रवाई और प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता है ताकि वन क्षेत्र की रक्षा की जा सके और वन्य जीवों के आवास को सुरक्षित किया जा सके।
Source- down to earth