उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों में हुई मूसलाधार बारिश और भूस्खलन ने यमुनोत्री धाम और उसके अंतिम पड़ाव जानकीचट्टी पर भारी तबाही मचाई है। यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से यमुनोत्री मंदिर परिसर के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अस्थायी पुल, सुरक्षा दीवार, रसोई, और पुजारी सभा कक्ष को भी नुकसान पहुंचा है। जानकीचट्टी बस पार्किंग में पानी और मलबा घुसने से तीन खच्चर बह गए और एक बाइक मलबे में दब गई।
यमुनोत्री धाम से जानकीचट्टी पहुंचने तक यमुना नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया था। गंगोत्री धाम मार्ग पर पहाड़ों से पत्थर गिरने के कारण सैकड़ों श्रद्धालु फंस गए। रुद्रप्रयाग के गौंडार गांव में सरस्वती (मोरकुंडा) नदी पर बना अस्थायी पुल बह गया, जिससे द्वितीय केदार मद्महेश्वर का गौंडार समेत तहसील व जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया। जिला प्रशासन ने दो हेलीकॉप्टर की मदद से 106 यात्रियों को सुरक्षित निकालकर रांसी पहुंचाया।
गुजरात और महाराष्ट्र में भी बाढ़ के हालात
गुजरात के नवसारी और महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। कई निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं और करीब 4,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। दक्षिण गुजरात में पिछले 24 घंटों से हो रही भारी बारिश के कारण नवसारी जिले से होकर गुजरने वाली पूर्णा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जिला कलेक्टर क्षिप्रा एस. आगर ने बताया कि कई निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है और 2,200 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
भारत तिब्बत सीमा पुलिस के इंस्पेक्टर चंद्रमोहन सिंह नेगी ने हिमाचल प्रदेश में अपने साथियों को अस्थाई पुल बनाकर नाले को पार कराते समय नाले के तेज बहाव में फिसलकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका पार्थिव शरीर 27 जुलाई को लाए जाने की संभावना है। चंद्रमोहन सिंह नेगी (55) 17 बटालियन आईटीबीपी में तैनात थे और इन दिनों हिमाचल प्रदेश के स्पीति घाटी लाहौल के रिकांगपिओ में तैनात थे।
source – अमर उजाला