नए शोध में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण कई पक्षी प्रजातियों के जीवित रहने की संभावना में भारी गिरावट आई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि शुष्क मौसमों के विस्तार से प्रभावित क्षेत्रों में 29 में से 24 पक्षी प्रजातियों की संख्या तेजी से घट रही है।
पक्षियों की आबादी पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
पर्यावरणीय परिवर्तन का असर न केवल वनस्पतियों और जीवों पर हो रहा है, बल्कि यह पक्षियों की प्रजातियों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस शोध में पाया कि बढ़ते तापमान के कारण पक्षियों की जीवित रहने की क्षमता में 63% तक की कमी आई है।
शोध का तरीका और निष्कर्ष
इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने विभिन्न जलवायु डेटा और पक्षियों की आबादी के आंकड़ों की तुलना की। शोध को इंस्टीट्यूटो नेशनल डी पेस्क्विसस दा अमेज़ोनिया, मिशिगन टेक्नोलॉजिक यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ ओरेगन के विशेषज्ञों द्वारा अंजाम दिया गया। उन्होंने दूरदराज के जंगलों में रहने वाले पक्षियों पर विशेष ध्यान दिया और उनके आंकड़ों को बदलते तापमान के साथ जोड़ा।
मानव गतिविधियों और पक्षियों की घटती आबादी
सदियों से जैसे-जैसे मानव आबादी बढ़ी है, वैसे-वैसे जीव-जंतुओं की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। यह विशेष रूप से पक्षियों के मामले में अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। शोधकर्ताओं ने पिछले दो दशकों में अमेजन के जंगलों में अध्ययन किया और पाया कि पक्षियों की कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं।
तापमान वृद्धि और पक्षियों की जीवन प्रत्याशा
शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि तापमान में बढ़ोतरी से पर्यावरणीय परिस्थितियां पक्षियों के लिए प्रतिकूल होती जा रही हैं। बढ़ते तापमान से न केवल उनके भोजन और आवास पर प्रभाव पड़ा, बल्कि उनके अंडों के जीवित रहने की संभावना भी कम हो गई।
पक्षियों के प्रजनन पर असर
शोध से यह भी पता चला कि तापमान में मामूली वृद्धि भी पक्षियों की प्रजनन प्रक्रिया को बाधित कर सकती है। यदि भोजन की उपलब्धता और अंडों सेने की प्रक्रिया के बीच तालमेल बिगड़ जाता है, तो घोंसलों में रहने वाले बच्चे भूख से मर सकते हैं। इससे उनकी संख्या में धीरे-धीरे कमी आ रही है।
समाधान की दिशा में प्रयास
शोधकर्ताओं का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और पक्षियों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके लिए वन संरक्षण, जलवायु नीतियों का पालन और मानवजनित कारकों को नियंत्रित करने की रणनीतियाँ अपनाई जानी चाहिए।
यह अध्ययन स्पष्ट रूप से दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन पक्षियों की जीवित रहने की क्षमता पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। तापमान वृद्धि के कारण उनके प्रजनन चक्र और जीवनशैली में बड़े बदलाव आ रहे हैं। यदि इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में कई पक्षी प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं।