प्लास्टिक के स्वास्थ्य पर प्रभाव

saurabh pandey
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विभिन्न शोधों से पता चलता है कि प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग हृदय रोग और मधुमेह का कारण बन सकता है। इसके अतिरिक्त, प्लास्टिक में मौजूद रसायन मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। प्लास्टिक उत्पाद छोटे कणों में टूट जाते हैं, जो जहरीले रसायन छोड़ते हैं, जो खाने-पीने की चीजों के जरिए शरीर में पहुंचते हैं।

बीपीए और अन्य रसायन

प्लास्टिक में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) नामक रसायन होता है, जिसका उपयोग सख्त और रंगीन प्लास्टिक बनाने में किया जाता है। यह रसायन शरीर में हार्मोनल प्रक्रिया को बाधित कर सकता है। अध्ययन के अनुसार, एक लीटर बोतलबंद पानी में औसतन 2.5 लाख छोटे प्लास्टिक कण होते हैं। 2022 में किए गए एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने दोबारा इस्तेमाल की गई प्लास्टिक की बोतलों में हानिकारक यौगिक पाए।

डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य

प्लास्टिक की बोतलों में बिस्फेनॉल ए और थैलेट्स जैसे रसायन होते हैं, जो अंतःस्रावी ग्रंथियों को प्रभावित कर सकते हैं और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकते हैं। शोध के अनुसार, BPA के संपर्क को कम करने से टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को घटाया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्लास्टिक के कणों का प्रभाव देखा गया है। एक अध्ययन में, चूहों में माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव से संज्ञानात्मक परिवर्तन पाए गए। ये कण मस्तिष्क के संवेदनशील हिस्सों में पहुंचने में सक्षम थे और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चिंता और अवसाद से जुड़े हो सकते हैं।

सुरक्षित विकल्प

विशेषज्ञ कांच और स्टेनलेस स्टील के बर्तनों के उपयोग की सलाह देते हैं और लंबे समय तक प्लास्टिक की पानी की बोतलों के उपयोग से बचने की सलाह देते हैं।

प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। बिस्फेनॉल ए और अन्य रसायन जो प्लास्टिक में पाए जाते हैं, हृदय रोग, मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। विशेष रूप से, प्लास्टिक के छोटे कण खाने-पीने की चीजों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं और हार्मोनल असंतुलन, डायबिटीज, चिंता और अवसाद जैसे स्वास्थ्य मुद्दों को जन्म दे सकते हैं।

इसलिए, प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और सुरक्षित विकल्प जैसे कांच और स्टेनलेस स्टील के बर्तनों का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक हैं।

Source – हिंदुस्तान समाचार पत्र

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