छोटे उपग्रहों का लगातार बढ़ता हुआ झुंड पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। शोधकर्ताओं के अनुसार, ये उपग्रह ओजोन परत को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे पृथ्वी के वायुमंडल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इन उपग्रहों का निर्माण और उनका अंतरिक्ष में प्रक्षेपण पर्यावरण पर दबाव बढ़ाता है, जबकि उनके जीवन के अंतिम चरण में ये वायुमंडल में प्रवेश करते समय ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं।
ओजोन परत पर बुरा असर
उपग्रहों के जलने से एल्युमिनियम ऑक्साइड के बारीक कण उत्पन्न होते हैं, जो समताप मंडल में ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं। यह परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाने का काम करती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये कण क्लोरीन को सक्रिय करते हैं, जिससे ओजोन परत कमजोर हो जाती है।
प्रकाश प्रदूषण और खगोलीय अध्ययन
इन उपग्रहों से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी पृथ्वी की निचली कक्षा में रात के समय आकाश में फैलती है, जिससे खगोलीय प्रेक्षणों में बाधा उत्पन्न होती है। साथ ही, इसका प्रभाव प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर भी देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इस घटना का अध्ययन करने के लिए सिमुलेशन की मदद ली है, जिसमें पाया गया कि इन उपग्रहों के प्रक्षेपण से होने वाले प्रदूषण का चक्र दशकों तक जारी रह सकता है।
प्रदूषण में वृद्धि और भविष्य की चिंता
जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जून 2024 तक कक्षा में लगभग 6,209 स्टारलिंक उपग्रह थे, जिनमें से अधिकांश काम कर रहे हैं। इन उपग्रहों के जीवनकाल के समाप्त होने के बाद, उनके वायुमंडल में जलने से एल्युमिनियम ऑक्साइड कणों में आठ गुना वृद्धि हुई है। यह प्रदूषण चक्र लगातार बना रहेगा, क्योंकि इंटरनेट सेवा को बनाए रखने के लिए इन उपग्रहों का नियमित रूप से प्रक्षेपण किया जाता रहेगा।
इस स्थिति को देखते हुए वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् इस समस्या पर अधिक जागरूकता और सख्त नीतियों की मांग कर रहे हैं। ओजोन परत की रक्षा के लिए उपग्रह प्रक्षेपणों पर नियंत्रण और पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों को अपनाना अनिवार्य हो गया है।
छोटे उपग्रहों के लगातार बढ़ते प्रक्षेपण से उत्पन्न प्रदूषण से न केवल ओजोन परत को गंभीर खतरा है, बल्कि यह प्रकाश प्रदूषण और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। यदि इस समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव पर्यावरण और मानव जीवन पर गहरा हो सकता है।
छोटे उपग्रहों का लगातार प्रक्षेपण और उनके वायुमंडल में जलने से उत्पन्न प्रदूषण पर्यावरण और ओजोन परत के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। एल्युमिनियम ऑक्साइड के कण, जो उपग्रहों के जलने से उत्पन्न होते हैं, ओजोन परत को क्षति पहुंचाते हैं, जिससे पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणों का प्रभाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, उपग्रहों से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी खगोलीय प्रेक्षणों में बाधा डालती है और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है।
यदि इस प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दशकों में इसका प्रभाव और भी गहरा हो सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए अंतरिक्ष और पर्यावरणीय नीतियों को पुनः विचार कर उपग्रहों के प्रक्षेपण पर सख्त नियम लागू करने की आवश्यकता है।