जलवायु परिवर्तन से निपटने में बढ़ती वैश्विक चुनौतियाँ और स्वच्छ ऊर्जा की धीमी प्रगति

saurabh pandey
5 Min Read

दुनिया में जलवायु परिवर्तन से जूझने के प्रयासों को स्वच्छ ऊर्जा में बदलाव से गति मिलनी चाहिए, लेकिन बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों और बदलते वैश्विक बाजार के परिदृश्य ने इस परिवर्तन को बाधित कर दिया है। वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2024 की रिपोर्ट यह संकेत देती है कि ऊर्जा संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के प्रयासों में मंदी आई है, जिससे जलवायु संकट से लड़ने की संभावनाएँ कमजोर हो रही हैं।

जटिल परिस्थितियाँ और बढ़ती ऊर्जा मांग

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करने वाली कई चुनौतियाँ उभर रही हैं, जिनमें प्रौद्योगिकीय बदलाव, ऊर्जा मांग में वृद्धि, और बाजार में अस्थिरता प्रमुख हैं। 2030 के अंत तक कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों की मांग अपने चरम पर पहुंच सकती है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा की राह में रुकावटें आने का अंदेशा है।

विशेष रूप से भारत जैसे देश, जहां ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है, स्वच्छ ऊर्जा की राह में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अनुमान है कि भारत 2035 तक हर दिन 12,000 से अधिक नई कारें सड़कों पर उतारेगा और निर्माण क्षेत्र में हर साल 1 अरब वर्ग मीटर से अधिक का विस्तार होगा। इसी दौरान लोहे, स्टील और सीमेंट के उत्पादन में 70% और 55% की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

स्वच्छ ऊर्जा में प्रगति और चुनौतियाँ

भले ही दुनिया में नवीकरणीय ऊर्जा तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसका उपयोग अभी सभी देशों में समान रूप से नहीं हो रहा है। बिजली की वैश्विक मांग पिछले दशक में ऊर्जा खपत की तुलना में दोगुनी गति से बढ़ी है। चीन ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है और रिपोर्ट के अनुसार, 2030 के दशक में चीन की सौर ऊर्जा क्षमता अमेरिका की कुल ऊर्जा मांग से भी अधिक हो सकती है।

हालाँकि, स्वच्छ ऊर्जा में बदलाव के लिए विद्युत ग्रिड और ऊर्जा भंडारण पर निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में खर्च किए जा रहे हर डॉलर का 60% हिस्सा ग्रिड और भंडारण बुनियादी ढांचे पर जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ऊर्जा प्रणालियों को मजबूत किए बिना स्वच्छ ऊर्जा का विस्तार संभव नहीं है।

जलवायु लक्ष्य और समय की कमी

वैश्विक तापमान को 1.5°C तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब समय और अवसर तेजी से सीमित होते जा रहे हैं। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर मौजूदा प्रगति पर्याप्त नहीं हुई, तो सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में 2.4°C तक की वृद्धि हो सकती है, जो गंभीर पर्यावरणीय संकटों को जन्म देगा।

नीतियों की भूमिका और भविष्य की दिशा

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के कार्यकारी निदेशक फतिह बीरोल ने कहा है कि भविष्य की ऊर्जा प्रणालियाँ बहुत अलग दिखेंगी, और तेल व गैस की आपूर्ति में संभावित कमी से कीमतों में स्थिरता आ सकती है। इस बदलाव से सरकारों को जीवाश्म ईंधनों से सब्सिडी हटाने और स्वच्छ ऊर्जा में निवेश बढ़ाने का अवसर मिलेगा।

आगामी शिखर सम्मेलन और समाधान की तलाश

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए IEA 2025 की दूसरी तिमाही में ऊर्जा सुरक्षा पर एक अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित करने जा रही है। यह शिखर सम्मेलन लंदन में आयोजित होगा और वैश्विक ऊर्जा संकट के समाधान, उभरते जोखिमों और अवसरों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

दुनिया के सामने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और जलवायु संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण अवसर मौजूद हैं, लेकिन भू-राजनीतिक तनावों और बाजार की अनिश्चितताओं ने इस राह में रुकावटें खड़ी कर दी हैं। यदि सरकारें और उपभोक्ता मिलकर स्वच्छ ऊर्जा को प्राथमिकता दें और नीतिगत सुधार लागू करें, तो भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। नेट-जीरो लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें आज ही निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *