भूजल संकट: दिल्ली के तीन जिलों में फ्लोराइड की बढ़ती मात्रा

saurabh pandey
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दिल्ली में भूजल के बढ़ते संकट ने एक नई गंभीर चिंता को जन्म दिया है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली, और पूर्वी दिल्ली में भूजल में फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित मानक से अधिक पाई गई है। इस स्थिति का सीधे असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, क्योंकि फ्लोराइड की अधिकता से दांतों और हड्डियों की समस्याएं हो सकती हैं।

स्थिति की गंभीरता

केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2015 में उत्तरी दिल्ली के पांच जिलों में फ्लोराइड की मात्रा चिंताजनक स्तर पर थी। हालांकि, अब समस्या केवल तीन जिलों में सिमट गई है, लेकिन यह भी स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए पानी में फ्लोराइड की सुरक्षित मात्रा 0.6 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जबकि 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होने पर यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

फ्लोरोसिस: एक गंभीर बीमारी

फ्लोराइड की अधिकता से फ्लोरोसिस नामक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, जो दांतों और हड्डियों को कमजोर बना देती है। इससे न केवल दांतों में दाग-धब्बे होते हैं, बल्कि हड्डियों का लचीलापन भी प्रभावित होता है। डॉक्टरों का मानना है कि इससे हड्डियों के टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है।

कारण और समाधान

भूजल में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। प्राकृतिक कारणों के अलावा, मानव निर्मित गतिविधियाँ जैसे ईंट भट्टों का संचालन और अधिक रासायनिक खाद का उपयोग भी इसके मुख्य कारण हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि पिछले वर्षों में इन कारकों ने भूजल में फ्लोराइड की मात्रा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हालांकि, हाल ही में इस समस्या पर ध्यान देने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने कुछ ईंट भट्टों पर प्रतिबंध लगाया है, जिससे स्थिति में सुधार हो रहा है। लेकिन फिर भी, यह पर्याप्त नहीं है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

डॉ. अजय लेखी, पूर्व दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, ने चेतावनी दी है कि फ्लोराइड की अधिकता से केवल दांतों की समस्याएं नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के अन्य गंभीर मुद्दे भी उत्पन्न हो सकते हैं। हड्डियों का कमजोर होना, जोड़ों का दर्द, और अन्य समस्याएं आम हो सकती हैं।

भूजल संकट एक गंभीर मुद्दा है, और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में इसे हल करना आवश्यक है। स्थानीय प्रशासन, शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है। अगर जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और भी गंभीर रूप ले सकती है, जिससे लाखों लोगों की स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

जल प्रदूषण और भूजल में फ्लोराइड की बढ़ती मात्रा पर नियंत्रण पाने के लिए सभी स्तरों पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। सरकार, समाज, और नागरिकों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ जल संसाधन सुनिश्चित किया जा सके।

दिल्ली में भूजल में फ्लोराइड की बढ़ती मात्रा एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है, जो न केवल दांतों और हड्डियों की समस्याओं को जन्म दे रहा है, बल्कि व्यापक स्वास्थ्य प्रभावों का संकेत भी दे रहा है। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है, ताकि लोगों को सुरक्षित और स्वस्थ जल उपलब्ध कराया जा सके।

इसके लिए जागरूकता फैलाना, शोध और नीतिगत बदलाव करना आवश्यक है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या न केवल दिल्ली, बल्कि अन्य जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में भी गंभीर परिणाम दे सकती है। हम सभी को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ जल संसाधन सुनिश्चित किया जा सके।

Source- dainik jagran

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