तंबाकू का उपयोग, जो कैंसर को तीन गुना अधिक घातक बना सकता है, भारत में स्वास्थ्य संकट का एक प्रमुख कारण बन गया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए हालिया अध्ययन से यह साफ हो गया है कि तंबाकू का सेवन न केवल कैंसर को सक्रिय करता है, बल्कि इसके कारण होने वाले कैंसर से पीड़ित मरीजों की मौत का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।
आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार, तंबाकू सेवन से पुरुषों और महिलाओं दोनों में कैंसर का जोखिम 2.60 से 3.10 प्रतिशत के बीच पाया गया है। इसका गंभीर परिणाम यह है कि ज्यादातर मामलों में कैंसर दूसरे या तीसरे चरण में ही पकड़ में आता है, जिससे इलाज का समय कम हो जाता है और मरीजों की मौत का खतरा बढ़ जाता है।
तंबाकू से होने वाले कैंसर का खतरा
तंबाकू के सेवन से श्वसन तंत्र का कैंसर होने का जोखिम 4.97 गुना और गर्दन के कैंसर का जोखिम 3.95 गुना पाया गया है। अध्ययन से यह भी पता चला कि भारत में नौ में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना है। 2020 की तुलना में 2025 में कैंसर रोगियों की संख्या में 12.8% की वृद्धि होने का अनुमान है, जो एक चिंताजनक स्थिति है।
सरकार की नई रणनीति
तंबाकू की लत से निपटने के लिए, सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी अस्पतालों में तंबाकू छोड़ने के लिए ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों के सहयोग से हर अस्पताल में तंबाकू छोड़ने के लिए अलग विभाग बनाने की योजना बनाई है। इसके अलावा, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने सभी मेडिकल कॉलेजों में नशा मुक्ति अभियान लागू किया है, जिसमें नशा मुक्त छात्रावास समितियों का गठन भी शामिल है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में सभी हितधारकों को ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से तंबाकू छोड़ने के केंद्र (टीसीसी) स्थापित करने का प्रशिक्षण दिया है। अगले एक महीने के भीतर, सभी संस्थानों में टीसीसी का काम शुरू हो जाएगा। इन केंद्रों से प्राप्त आंकड़ों को राष्ट्रीय स्तर पर एकत्रित कर, कैंसर पर और अधिक शोध करने के लिए सार्वजनिक किया जाएगा।
तंबाकू का सेवन न केवल कैंसर के खतरे को बढ़ाता है, बल्कि इसके कारण होने वाले कैंसर की घातकता को भी कई गुना बढ़ा देता है। सरकार की ओर से तंबाकू की लत से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन यह आवश्यक है कि आम जनता भी इस दिशा में जागरूक हो और तंबाकू के सेवन से होने वाले खतरों को समझे। तंबाकू मुक्त भारत के निर्माण के लिए यह सामूहिक प्रयास अनिवार्य है।
Source- अमर उजाला