दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने रिपोर्ट दी है कि दिवाली के दौरान प्रदूषण मानकों के उल्लंघन के बावजूद वायु गुणवत्ता में कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ। डीपीसीसी के अनुसार, दिवाली के बाद 24 घंटे का औसत एक्यूआई 328 से 360 तक पहुंचा, जिसमें केवल मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल की तुलना में पीएम 2.5 के स्तर में चार प्रतिशत की कमी आई है, जबकि पीएम 10 के स्तर में 11 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
तीन सालों में सबसे प्रदूषित दिवाली का दावा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, इस साल दिल्ली में पिछले तीन वर्षों में सबसे प्रदूषित दिवाली दर्ज की गई। दिल्ली का एक्यूआई दिवाली के एक दिन बाद 330 तक पहुंच गया, जो पिछले साल 218 और उससे पहले 312 था। शुक्रवार सुबह 9 बजे तक यह 362 तक पहुंच गया, जिससे दिल्ली के अधिकांश क्षेत्र ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहे।
सरकारी उपाय और प्रयास
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने धूल नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाया है, जिसमें प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दो मोबाइल स्मॉग गन तैनात की गई हैं। साथ ही, लगातार पांचवे साल पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया है, जिसमें उनके निर्माण, भंडारण, बिक्री, और उपयोग पर रोक लगाई गई है।
पराली जलाने में कमी का असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि पराली जलाने के मामलों में कमी के कारण प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिली है। साथ ही, डीपीसीसी ने छह प्रमुख गैसीय प्रदूषकों की निगरानी की, जिनमें अमोनिया, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन और बेंजीन शामिल हैं, जो राष्ट्रीय मानकों के भीतर रहे।
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव अभियान
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए विशेष पानी छिड़काव अभियान शुरू किया है। इसके तहत सभी विधानसभा क्षेत्रों और प्रदूषण हॉटस्पॉट पर 200 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन लगाई गई हैं, जो तीन शिफ्ट में लगातार पानी का छिड़काव करेंगी। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस प्रयास की सराहना की और दिल्लीवासियों को दिवाली के बाद हवा को गंभीर श्रेणी में जाने से रोकने के लिए बधाई दी।
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है, परंतु विभिन्न सरकारी प्रयासों से स्थिति को नियंत्रण में लाने का प्रयास किया जा रहा है। पटाखों पर प्रतिबंध, पराली जलाने में कमी, धूल नियंत्रण अभियान, और पानी का छिड़काव जैसे उपायों से वायु गुणवत्ता में सुधार लाने की कोशिश की जा रही है। इन प्रयासों के बावजूद, प्रदूषण स्तर को स्थायी रूप से कम करने के लिए नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता भी आवश्यक है।