शहरी मामलों के मंत्रालय ने स्वच्छता रैंकिंग में लगातार शीर्ष स्थान हासिल करने वाले शहरों के लिए एक नई श्रेणी, “गोल्डन सिटी क्लब,” की घोषणा की है। इसका उद्देश्य है कि इंदौर और सूरत जैसे शहर, जो लंबे समय से शीर्ष पर बने हुए हैं, एक अलग श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करें, ताकि अन्य शहरों के बीच समान प्रतिस्पर्धा हो सके। इस नई श्रेणी के तहत शहरों को गोल्डन सिटी क्लब में शामिल किया जाएगा और खराब प्रदर्शन पर उन्हें सामान्य श्रेणी में भेजा जाएगा।
स्वच्छता पखवाड़ा और नए लक्ष्य
मंत्रालय ने 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले स्वच्छता पखवाड़े के दौरान दो लाख अत्यधिक गंदे स्थानों को साफ करने का लक्ष्य रखा है। इन स्थानों की सफाई के लिए सार्वजनिक और निजी संगठनों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस साल की थीम ‘स्वभाव स्वच्छता और संस्कार स्वच्छता’ है।
कचरे के निपटान में प्रगति
देश में वर्तमान में 2300 डंप साइट हैं, जिनमें 22 करोड़ मीट्रिक टन कचरा एकत्र किया गया है। अब तक 427 डंप साइटों से नौ करोड़ मीट्रिक टन कचरे का निपटान हो चुका है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बताया कि चार लाख गांवों में घरों से कचरा एकत्र करने के लिए पांच लाख वाहन चलाए जा रहे हैं और जल्द ही सभी छह लाख गांवों में यह सुविधा मिलेगी।
स्वच्छता अभियान की सफलता
स्वच्छता अभियान के परिणामस्वरूप गांवों के 3.4 करोड़ घर ओडीएफ प्लस बन चुके हैं, जिससे स्वास्थ्य खर्च में प्रति परिवार औसतन 50,000 रुपये की बचत हो रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2019 में डायरिया से मरने वाले तीन लाख लोगों की संख्या में कमी स्वच्छता अभियान का ही परिणाम है।
गोल्डन सिटी क्लब जैसी नई पहल से शहरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अन्य शहरों को भी बेहतर प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा। स्वच्छता अभियान के तहत स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार के प्रयासों ने देश भर में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
गोल्डन सिटी क्लब की नई श्रेणी शहरों के बीच स्वच्छता प्रतियोगिता को और अधिक समतामूलक बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे इंदौर और सूरत जैसे शहर अलग श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करेंगे, जबकि अन्य शहरों को बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। स्वच्छता पखवाड़े के तहत लाखों गंदे स्थानों को साफ करने और कचरे के निपटान में की गई प्रगति देश के स्वच्छता लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में सहायक होगी। इस अभियान से न केवल शहरों और गांवों की स्वच्छता में सुधार होगा, बल्कि इसके परिणामस्वरूप लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक और सामाजिक लाभ होंगे।
Source- dainik jagran