जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण का असर अब न केवल इंसानों पर बल्कि अन्य जीवों पर भी दिखने लगा है। हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि बढ़ते तापमान और जनसंख्या घनत्व के कारण चूहों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यह समस्या न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य बल्कि कृषि और खाद्य आपूर्ति के लिए भी गंभीर खतरा बनती जा रही है।
बढ़ते तापमान से चूहों की संख्या में उछाल
शहरों में तापमान सामान्य से अधिक होने के कारण चूहों के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बन रही हैं। शोध में यह देखा गया कि जिन क्षेत्रों में तापमान अधिक था, वहाँ चूहों की आबादी तेजी से बढ़ी, जबकि ठंडे इलाकों में यह वृद्धि अपेक्षाकृत कम रही। शहरीकरण के कारण कचरा और भोजन की उपलब्धता बढ़ी है, जिससे चूहों को पनपने का और अधिक अवसर मिल रहा है।
बीमारियों का बढ़ता खतरा
चूहे कई प्रकार की घातक बीमारियों के वाहक होते हैं, जो मनुष्यों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। इनमें टाइफस, प्लेग, लेप्टोस्पायरोसिस और हंता वायरस जैसी बीमारियाँ शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि चूहों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो ये स्वास्थ्य संकट को और बढ़ा सकते हैं।
कृषि और खाद्य भंडारण को भारी नुकसान
चूहों की कुछ प्रजातियाँ, विशेष रूप से रैटस नॉर्वेजिकस और रैटस निग्रिकोलिस, खाद्य भंडारण और कृषि उपज को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाती हैं। एक अनुमान के अनुसार, अकेले अमेरिका में चूहों के कारण हर साल करोड़ों डॉलर का नुकसान होता है। वैश्विक स्तर पर इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए हर साल अरबों रुपये खर्च किए जाते हैं।
शहरीकरण और चूहों का सह-संबंध
शहरों में जनसंख्या घनत्व बढ़ने और अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन ने चूहों के लिए बेहतर रहने और भोजन की उपलब्धता बढ़ा दी है। इसके चलते उनकी प्रजनन दर भी तेजी से बढ़ रही है। शोध के अनुसार, अत्यधिक शहरीकरण वाले क्षेत्रों में चूहों की आबादी अपेक्षाकृत अधिक देखी गई।
समाधान और रोकथाम के उपाय
चूहों की बढ़ती संख्या पर काबू पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं:
कचरा प्रबंधन में सुधार – खुले में कचरा फेंकने से बचना चाहिए और कचरे के सही निस्तारण पर ध्यान देना जरूरी है।
स्वच्छता अभियान – लोगों को अपने घरों और आसपास की जगहों को स्वच्छ रखने के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।
प्राकृतिक और वैज्ञानिक नियंत्रण उपाय – बायोलॉजिकल कंट्रोल और आधुनिक ट्रैपिंग सिस्टम का उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकारी निगरानी और योजनाएँ – स्थानीय प्रशासन को चूहों की आबादी पर नजर रखने और नियंत्रण कार्यक्रम लागू करने की जरूरत है।
ग्लोबल वार्मिंग और शहरीकरण ने चूहों के लिए आदर्श परिस्थितियाँ बना दी हैं, जिससे उनकी संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या बन सकती है। आम जनता और प्रशासन को मिलकर इस चुनौती से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि खाद्य सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को बनाए रखा जा सके।