आज की तारीख में, पानी की वैश्विक राजनीति ने गंभीर मोड़ ले लिया है, जहां अमीर और गरीब देशों के बीच पानी के अधिकार पर विवाद बढ़ते जा रहे हैं। यह स्थिति केवल विकासशील देशों में ही नहीं, बल्कि समृद्ध देशों जैसे चिली और ऑस्ट्रेलिया में भी देखी जा रही है। आइए जानें इस मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट की पहली किश्त।
चिली के सूखे प्रांत कोक्विम्बो में पानी की चोरी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यहाँ रात के अंधेरे में पानी चोर टैंकरों के जरिए नहरों से पानी चुरा ले जाते हैं। एलेजांद्रो मेनेसेस जैसे किसान इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। चिली में किसानों को हर सेकंड 40 लीटर पानी का अधिकार होता है, लेकिन चोरी और सूखे के कारण उन्हें केवल एक-दसवा हिस्सा ही मिल पा रहा है। इससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि हो रही है और सामाजिक समस्याएँ बढ़ रही हैं।
इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, जल संकट को सिर्फ छह शब्दों में वर्णित किया जा सकता है: बहुत कम, बहुत ज्यादा, बहुत गंदा। जलवायु परिवर्तन के कारण समस्याएँ और बढ़ रही हैं, और आधी मानवता अत्यधिक जल-तनाव की स्थिति में जी रही है। नई तकनीक और नई राजनीतिक रणनीतियों की आवश्यकता है ताकि जल की समस्या का समाधान किया जा सके।
ग्लोबल वार्मिंग का पानी के व्यवहार पर प्रभाव स्पष्ट है। गर्म हवा अधिक नमी को समेट सकती है, जिससे अधिक बारिश और सूखा दोनों की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इस बदलाव से सूखे क्षेत्रों में पानी की कमी और बाढ़ के क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2002 से 2021 के बीच बाढ़ ने लगभग 1.6 बिलियन लोगों को प्रभावित किया और आर्थिक नुकसान 830 बिलियन डॉलर से अधिक हुआ। इसी अवधि में सूखे ने 1.4 बिलियन लोगों को प्रभावित किया और 170 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। आने वाले दशकों में मीठे पानी की वैश्विक आपूर्ति में और गिरावट की संभावना है, विशेष रूप से अफ्रीका में।
चिली में पानी की अत्यधिक कमी एक गंभीर संकट बन चुकी है। चिली दक्षिण अमेरिका का सबसे अधिक जल-तनाव वाला देश है, और देश के लोक निर्माण मंत्री जेसिका लोपेज ने चेतावनी दी है कि राजधानी सैंटियागो की स्थिति आने वाले दस सालों में और बिगड़ सकती है।
हाल के वर्षों में चिली में पानी के अधिकार पर विवाद और विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं। वामपंथी और दक्षिणपंथी दलों के बीच गहरे अविश्वास के कारण पानी के नियमों में संशोधन मुश्किल हो गया है। रूढ़िवादी सरकारों ने कई जमीन मालिकों को पानी के अधिकार मुफ्त और स्थायी रूप से प्रदान किए हैं, जिससे छोटे किसानों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
पानी के अधिकारों पर इस तरह के विवाद ने चिली में बड़े और छोटे किसानों के बीच तनाव पैदा कर दिया है। यदि समय पर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह एक बड़े संकट का कारण बन सकता है। यह मुद्दा केवल चिली तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर पानी की राजनीति और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझना और सुधारना आवश्यक है।
आज की वैश्विक जल संकट की स्थिति स्पष्ट करती है कि पानी का अधिकार और उसकी प्रबंधन नीति कितनी जटिल और विवादास्पद हो सकती है। अमीर और गरीब देशों के बीच पानी के असमान वितरण और अधिकारों की लड़ाई ने विश्वभर में जल संकट को और गहरा कर दिया है।
चिली जैसे देशों में, जहाँ सूखा और पानी की चोरी जैसी समस्याएँ उभर रही हैं, वहाँ की राजनीति और नीतियों को समझना जरूरी है। इन मुद्दों को हल करने के लिए नई तकनीकों के साथ-साथ नई राजनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण जल चक्र में तेजी से बदलाव हो रहा है, जिससे बाढ़ और सूखा दोनों की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इससे यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझना और उनके अनुकूल नीतियाँ बनाना अत्यंत आवश्यक है।
जल संकट की इस स्थिति को सुधारने के लिए विश्वभर के देशों को एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि पानी का प्रबंधन और वितरण सही तरीके से किया जा सके और भविष्य में जल संकट को कम किया जा सके।
Source- down to earth