ग्लेशियर-विहीन हुआ वेनेजुएला

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वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियरों का पिघलना सूरज की ऊर्जा को अंतरिक्ष में परावर्तित कर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करते हैं। ग्लेशियर पृथ्वी के लिए एक प्रकार के ‘रेफ्रिजरेटर’ की तरह काम करते हैं, जिससे पृथ्वी के तापमान में स्थिरता बनी रहती है। ग्लेशियर विश्व के ताजे पानी का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। गर्मियों में जब ग्लेशियर पिघलते हैं, तो वे नदियों और झरनों में पानी का प्रवाह बढ़ाते हैं, जिससे कृषि, पीने का पानी और जलविद्युत उत्पादन में सहायता मिलती है। इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है और जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति गंभीरता बढ़ाई है। ग्लेशियर ध्रुवीय और ऊंचे पर्वतीय इलाकों में जलस्रोतों के लिए महत्वपूर्ण हैं और ग्लोबल जल प्रणाली के लिए भी गंभीर समस्या हैं। ग्लेशियर समुद्र स्तर में वृद्धि को कमाने और बायोमास पारिस्थितिकी प्रणालियों को संजीवनी देने का काम करते हैं। इस घटना ने वैश्विक समुदाय को यह सोचने पर मजबूर किया है कि जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से निपटने के लिए गंभीर और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

वेनेजुएला हाल ही में अपने सभी ग्लेशियर खोने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इंटरनेशनल क्लाइमेट चेंज मॉनिटरिंग इंस्टीट्यूट ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि वेनेजुएला का अंतिम ग्लेशियर हंबोल्ट ग्लेशियर, ग्लोबल वार्मिंग के कारण सिकुड़कर इतना छोटा हो गया कि अब वह ग्लेशियर होने के मानक को पूरा नहीं करता। यह चिंताजनक घटना है, क्योंकि कभी वेनेजुएला में कई ग्लेशियर थे, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण इसका आकार कम होता गया और 2011 तक इसमें से पांच ग्लेशियर पूरी तरह से समाप्त हो गए थे। हंबोल्ट ग्लेशियर के खत्म होने के साथ ही वेनेजुएला ग्लेशियर-विहीन देश बन गया है।

ग्लेशियरों के पिघलने से पृथ्वी पर जल चक्र में बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। यह प्रक्रिया पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करती है, जिससे पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आ रहा है। समुद्र स्तर में वृद्धि के साथ-साथ ग्लेशियरों के पिघलने से दुनिया भर में बाढ़, सूखा और बिजली की समस्या भी बढ़ रही है।

ग्लेशियर प्रमुख कार्बन-अवशोषक की भूमिका भी निभाते हैं। इससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आ रहा है। समुद्र स्तर में वृद्धि के साथ-साथ ग्लेशियरों के पिघलने से दुनिया भर में बाढ़, सूखा और बिजली की समस्या भी बढ़ रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियरों का पिघलना सूरज की ऊर्जा को अंतरिक्ष में परावर्तित कर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करते हैं।

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