कोसी नदी की कटान से प्रभावित बाढ़ पीड़ितों ने केंद्र सरकार की कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना के खिलाफ विरोध प्रकट किया है। बाढ़ नियंत्रण के लिए घोषित 11,500 करोड़ रुपए की राशि में इस परियोजना को शामिल किया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह परियोजना बाढ़ नियंत्रण के बजाय सिंचाई के लिए अधिक उपयुक्त है।
परियोजना की प्रकृति पर सवाल
महेंद्र यादव, जो कोशी नव निर्माण मंच के एक प्रमुख कार्यकर्ता हैं, ने परियोजना के दस्तावेजों की समीक्षा के बाद आरोप लगाया है कि कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना बाढ़ नियंत्रण के लिए नहीं, बल्कि सिंचाई के उद्देश्य से डिजाइन की गई है। यादव का कहना है कि इस परियोजना से बैराज से केवल 5247 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की निकासी होगी, जबकि बैराज की डिज़ाइन क्षमता 9 लाख क्यूसेक के डिस्चार्ज की है। इस कमी को देखते हुए, बाढ़ की समस्या का समाधान होने की संभावना नहीं है।
फसलें और घर बर्बाद
कोसी नदी की कटान से प्रभावित क्षेत्रों में तटबंधों के बीच रहने वाले ग्रामीणों के घरों को व्यापक नुकसान हुआ है। कई परिवारों के घर इस कटान के कारण नष्ट हो गए हैं, और वे दर-दर भटकने को मजबूर हैं। इसके अतिरिक्त, किसानों की मूंग और धान की फसलें भी बाढ़ में नष्ट हो गई हैं।
ग्रामीणों की मांगें
पीड़ित ग्रामीण प्रशासन से कई मांगें कर रहे हैं, जिसमें कम्युनिटी किचन की स्थापना, बाढ़ पीड़ितों को मुफ्त सहाय्य राशि (जीआर) के रूप में 7000 रुपए का भुगतान, राशन से वंचित परिवारों की गिनती, फसल नुकसान के लिए अनुदान, नाव की व्यवस्था, और मोबाइल डिस्पेंसरी शामिल हैं। इसके अलावा, पुनर्वास और 4 हेक्टेयर तक लगान माफी की भी मांग की गई है।
कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना को लेकर स्थानीय समुदायों और कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष बढ़ रहा है। बाढ़ नियंत्रण के लिए परियोजना की वास्तविक प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं, और बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि परियोजनाएं उद्देश्य को पूरा कर सकें और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान कर सकें।
Source- down to earth
