प्रयागराज और वाराणसी में बाढ़ की स्थिति: राहत कार्य और चेतावनियाँ

saurabh pandey
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उत्तर भारत में लगातार बारिश और बैराजों से छोड़े जा रहे पानी के कारण गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर चेतावनी बिंदु को पार कर गया है, जिससे प्रयागराज, वाराणसी और अन्य जिलों में गंभीर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस बाढ़ से सड़कों पर जलभराव हो गया है, फसलें डूब गई हैं, और कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।

बाढ़ की गंभीर स्थिति

प्रयागराज के शहरी क्षेत्रों में गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में वृद्धि हो गई है। रविवार शाम को गंगा का जलस्तर 83.92 मीटर और यमुना का 83.78 मीटर पर पहुंच गया, जबकि चेतावनी बिंदु 84.73 मीटर है। वाराणसी में गंगा नदी चेतावनी बिंदु से 11 सेंटीमीटर ऊपर 70.37 मीटर पर बह रही है, और खतरा बिंदु 71.262 मीटर है। बाढ़ ने शहरों में नावों की आवाजाही को सामान्य बना दिया है, और हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। राहत कार्यों के लिए 60 से अधिक स्टीमर-मोटर बोट और 800 नावें तैनात की गई हैं।

राहत और बचाव कार्य

प्रशासन ने बाढ़ चौकियां खोलकर राहत सामग्री वितरित की है और राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। तटीय इलाकों में दर्जनों परिवार राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा नदी के उफान के कारण घाट की सीढ़ियां डूब गई हैं, जिससे इमारतों की छतों पर आरती की जा रही है और आसपास की गलियों में दाह संस्कार किए जा रहे हैं।

उत्तराखंड और हिमाचल में भारी बारिश

उत्तराखंड में मानसून के कारण लगातार बारिश से तवाघाट-लिपुलेख हाईवे चौथे दिन भी बंद रहा। इसके चलते, ओम पर्वत और आदि कैलाश के दर्शन करने गए 46 यात्रियों और 19 ग्रामीणों को हेलीकॉप्टर से सुरक्षित स्थान पर लाया गया। मुनस्यारी में भूस्खलन के चलते एक कलेक्ट्रेट कर्मचारी का शव भी मलबे में दबा मिला है।

हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से नुकसान

हिमाचल प्रदेश के शिमला में शनिवार रात बादल फटने से शिकारी नाला में बाढ़ आ गई। हालांकि जनहानि की सूचना नहीं है, लेकिन सेब के बगीचों में मलबा घुसने से काफी नुकसान हुआ है। इसके अलावा, पर्यटन स्थल रोहतांग, बारालाचा, और कुंजम दर्रा में बर्फबारी से ठंड बढ़ गई है।

आने वाले दिनों में मौसम की चेतावनियाँ

मौसम विभाग ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की संभावना जताई है। उत्तराखंड में 17 से 19 सितंबर तक भारी बारिश की संभावना है, जबकि हिमाचल प्रदेश में 18 से 21 सितंबर तक येलो अलर्ट जारी किया गया है।

उत्तर भारत में बाढ़ और भारी बारिश की स्थिति गंभीर है, जिससे जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुँचा है। प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, और प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में मौसम के और खराब होने की संभावना को देखते हुए, सतर्कता और तैयारियों की आवश्यकता है।

उत्तर भारत में गंगा और यमुना नदियों के उफान और लगातार बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है। प्रयागराज और वाराणसी में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों और बचाव प्रयासों को तेज किया गया है, लेकिन जलस्तर में और वृद्धि की आशंका बनी हुई है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश के कारण सड़कें बंद हैं और जनजीवन प्रभावित है। राहत और बचाव कार्यों के साथ-साथ मौसम विभाग की चेतावनियों को ध्यान में रखते हुए, आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। इस कठिन समय में प्रभावित लोगों के लिए समर्थन और आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

Source- dainik jagran

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