पहली मेलानिस्टिक (ब्लैक) टाइगर सफारी ओडिशा में

saurabh pandey
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ओडिशा में जल्द ही दुनिया की पहली मेलानिस्टिक (ब्लैक) टाइगर सफारी शुरू होने जा रही है। यह सफारी मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के समीप स्थित होगी और इसके साल के अंत तक चालू होने की उम्मीद है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुशांत नंदा ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि इस सफारी के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने भी इस परियोजना को समर्थन प्रदान किया है।

शुरुआत में, भुवनेश्वर के नंदन कानन चिड़ियाघर में रखे गए मेलानिस्टिक बाघों को इस सफारी के लिए स्थानांतरित किया जाएगा। प्रस्तावित सफारी 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली होगी, जिसमें लगभग 100 हेक्टेयर क्षेत्र को प्रदर्शन क्षेत्र के रूप में उपयोग किया जाएगा। शेष भूमि पर पशु चिकित्सा सुविधाएं, बचाव केंद्र, कर्मचारियों के लिए बुनियादी ढांचा, और आगंतुकों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी।

यह अनूठी परियोजना न केवल वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी।

मेलानिस्टिक बाघ (ब्लैक टाइगर्स)

मेलानिस्टिक बाघ, जिन्हें कभी-कभी “ब्लैक टाइगर्स” कहा जाता है, बाघों की दुर्लभ और असामान्य रूप हैं जिनमें मेलानिज्म की स्थिति होती है। यह स्थिति सामान्य से अधिक मात्रा में मेलेनिन पिगमेंट के उत्पादन के कारण होती है, जिससे बाघ का रंग गहरा और कभी-कभी काला दिखाई देता है। मेलानिस्टिक बाघ बहुत ही दुर्लभ होते हैं और इनका अवलोकन मुख्य रूप से भारत के कुछ हिस्सों में हुआ है। आइए, मेलानिस्टिक बाघों के बारे में विस्तार से जानें।

मेलानिस्टिक बाघों की विशेषताएँ

  • रंग: मेलानिस्टिक बाघों का रंग सामान्य बाघों से गहरा होता है। इनके शरीर पर काले रंग की धारियाँ अधिक गहरी और मोटी हो सकती हैं, जिससे वे पूरे काले भी दिख सकते हैं।
  • आनुवंशिकी: मेलानिज्म एक आनुवंशिक स्थिति है जो जीन में उत्परिवर्तन के कारण होती है। यह जीन उत्परिवर्तन बाघों में मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ा देता है।
  • स्थान: मेलानिस्टिक बाघ मुख्य रूप से भारत के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं, खासकर ओडिशा और सुंदरबन के जंगलों में।

पर्यावरणीय महत्व

  • अनुकूलन: मेलानिस्टिक बाघों का गहरा रंग उन्हें जंगल के घने और अंधेरे हिस्सों में छिपने में मदद करता है। यह शिकार के दौरान उन्हें लाभ प्रदान कर सकता है।
  • पर्यावरण संकेत: मेलानिस्टिक बाघों की उपस्थिति पर्यावरणीय परिवर्तनों और जीन प्रवाह के संकेत के रूप में देखी जा सकती है। यह अध्ययन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो हमें बाघों की आबादी और उनके निवास स्थान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

अध्ययन और संरक्षण

  • अध्ययन: वैज्ञानिक मेलानिस्टिक बाघों का अध्ययन करते हैं ताकि वे समझ सकें कि मेलानिज्म कैसे उत्पन्न होता है और इसका बाघों की उत्तरजीविता और अनुकूलन पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, यह अध्ययन आनुवंशिक विविधता और जीन प्रवाह के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है।
  • संरक्षण: मेलानिस्टिक बाघों की दुर्लभता के कारण, उनका संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनकी घटती संख्या और निवास स्थान की कमी के कारण, मेलानिस्टिक बाघों की आबादी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

मेलानिस्टिक बाघों के बारे में मिथक और सत्य

  • मिथक: कई लोग मानते हैं कि मेलानिस्टिक बाघ जादुई या असाधारण शक्तियों के साथ होते हैं। यह केवल मिथक है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
  • सत्य: मेलानिस्टिक बाघ वास्तव में सामान्य बाघ होते हैं जिनमें मेलानिज्म की स्थिति होती है। उनका व्यवहार, शिकार की आदतें, और जीवन शैली अन्य बाघों के समान ही होती है।

मेलानिस्टिक बाघ एक अद्वितीय और दुर्लभ प्राकृतिक घटना हैं जो बाघों की आनुवंशिक विविधता और पर्यावरणीय अनुकूलन को दर्शाती है। इन बाघों का अध्ययन और संरक्षण महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे हमें प्राकृतिक दुनिया की जटिलताओं और विविधताओं के बारे में गहरी समझ प्रदान करते हैं। मेलानिस्टिक बाघों की सुंदरता और दुर्लभता उन्हें एक विशेष स्थान देती है, जो हमें प्रकृति की अद्वितीयता और विविधता का सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है।

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