राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन और यमुना नदी को प्रदूषित करने में विफलता के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) पर 50 करोड़ रुपये से अधिक का भारी जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने कहा कि दोनों संस्थाओं ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया, जिससे यमुना नदी में सीवेज का प्रवाह जारी रहा।
एनजीटी की सख्त कार्रवाई
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि डीजेबी और एमसीडी को बार-बार निर्देश दिए गए, लेकिन वे सीवेज के प्रवाह को रोकने में असफल रहे। इस विफलता के कारण प्रदूषित पानी यमुना में बहता रहा। एनजीटी ने एमसीडी पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दक्षिण दिल्ली में बरसाती नालों की स्थिति बदलने का आरोप लगाया।
मुआवजा और सुधारात्मक कदम
एनजीटी ने निर्देश दिया कि एमसीडी और डीजेबी दोनों केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को दो महीने के भीतर 25.22 करोड़ रुपये का पर्यावरण मुआवजा दें। यह राशि दिल्ली में पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई और पुनर्स्थापना कार्यों में उपयोग की जाएगी।
बरसाती जल नालों में सीवेज का बहाव
विशेषज्ञ सदस्यों ने कहा कि दिल्ली में कई बरसाती जल नालों को सीवेज नालों से जोड़ दिया गया है, जिससे यमुना में गंभीर जल प्रदूषण हो रहा है। एनजीटी ने इस प्रणाली को प्राकृतिक पारिस्थितिकी और पर्यावरण के लिए हानिकारक बताया।
आदर्श रूप से, बरसाती पानी को केवल प्राकृतिक जल निकासी से बहना चाहिए। सीवेज को सीवरेज नेटवर्क में रहना चाहिए और इसे एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) में उपचारित किया जाना चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी कदम
एनजीटी ने कहा कि बरसाती जल में सीवेज का प्रवाह रोकना पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अनिवार्य है। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे इन नालों को अलग करें और सुनिश्चित करें कि सीवेज का उपचारित पानी ही बाहर निकले।
एनजीटी द्वारा लगाया गया यह जुर्माना पर्यावरण नियमों के प्रति सख्ती और संस्थानों की जवाबदेही तय करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मामला साफ करता है कि पर्यावरण की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यमुना को प्रदूषण मुक्त करने और जल निकासी प्रणाली को सही करने के लिए इन प्रयासों को शीघ्रता से लागू करना जरूरी है।
एनजीटी द्वारा एमसीडी और डीजेबी पर लगाया गया जुर्माना पर्यावरण संरक्षण के प्रति सख्त रवैया दर्शाता है। यह कदम यह साबित करता है कि पर्यावरणीय नुकसान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और जिम्मेदार संस्थाओं को उनके कर्तव्यों के पालन के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। यमुना नदी में सीवेज के प्रवाह को रोकने के लिए दिए गए निर्देशों का पालन न करने के परिणामस्वरूप यह जुर्माना लगाया गया है।
साफ पानी और स्वच्छ जल निकासी प्रणाली के लिए संस्थाओं को अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करना होगा, ताकि पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सके। इसके साथ ही, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मुआवजा राशि का उपयोग यमुना नदी और दिल्ली के पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई के लिए किया जाएगा, जो इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
इस सख्त कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि पर्यावरण का संरक्षण केवल एक कानूनी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि मानवता और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आवश्यक कर्तव्य है।