इस वर्ष भारतीय मानसून की विदाई में अनपेक्षित देरी हो रही है, और इसका मुख्य कारण ला-नीना की सक्रियता हो सकता है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, सितंबर में देशभर में अब तक 108% बारिश हो चुकी है, जो कि इस महीने की औसत बारिश से कहीं अधिक है। विशेष रूप से, इस महीने के शुरूआत में 71.1% अधिक बारिश की रिपोर्ट है, जो मानसून की सामान्य वापसी से भिन्न है।
ला-नीना: मानसून की विदाई में देरी का कारण?
ला-नीना एक ऐसी मौसमीय घटना है जिसमें मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के सतह के तापमान में गिरावट आती है। यह बदलाव वायुमंडल की स्थिति, हवा के पैटर्न और बारिश के वितरण को प्रभावित करता है। इस बार, ला-नीना की सक्रियता की वजह से मानसून की वापसी में देरी हो रही है। यह घटना भारत में भारी बारिश, बाढ़, और अन्य मौसमीय परिवर्तनों को उत्पन्न कर सकती है।
फसलों पर प्रभाव
वर्तमान में चल रही रुक-रुक कर बारिश ने धान और गन्ने की फसलों की वृद्धि को प्रोत्साहित किया है। अधिकांश जिलों में इन फसलों की स्थिति अच्छी है, हालांकि कुछ स्थानों पर लगातार बारिश ने सब्जियों को नुकसान पहुँचाया है। यह स्थिति किसानों के लिए मिश्रित संकेत लेकर आई है—जहाँ फसल की वृद्धि सकारात्मक है, वहीं सब्जियों के उत्पादन में कठिनाइयाँ आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश में मौसमी बदलाव
उत्तर प्रदेश में हाल ही में सक्रिय मानसून ने कुछ दिनों के लिए ठहराव देखा है। मौसम विज्ञानी अतुल कुमार सिंह के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र और एक नया मौसमी सिस्टम विकसित हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप, अगले दो से तीन दिनों में पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गरज-चमक के साथ भारी बारिश होने की संभावना है। सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, प्रयागराज, बांदा, चित्रकूट सहित अन्य क्षेत्रों में बारिश हो सकती है, और कुछ स्थानों पर बिजली गिरने की चेतावनी भी जारी की गई है।
इस वर्ष मानसून की विदाई में देरी और अत्यधिक बारिश की संभावनाएं ला-नीना की सक्रियता से संबंधित हो सकती हैं। यह परिवर्तनशील मौसम न केवल फसलों पर प्रभाव डाल रहा है, बल्कि सामान्य जीवन और कृषि गतिविधियों को भी प्रभावित कर रहा है। आने वाले दिनों में मौसम के इस असामान्य पैटर्न पर नजर रखना आवश्यक होगा ताकि उचित तैयारियों और उपायों को अपनाया जा सके।
Source- amar ujala