जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से लू या हीटवेव की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और ये अब वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख चुनौती बन गई हैं। हाल के अध्ययन से पता चला है कि मौजूदा हीटवेव सूचकांक की विधियाँ, जिनका उपयोग लू की गंभीरता को मापने के लिए किया जाता है, उन घटनाओं की वास्तविक गंभीरता को पकड़ने में असफल रही हैं। यह विशेष रूप से भारत, स्पेन और अमेरिका में हाल ही में हुई घातक लू की घटनाओं के संदर्भ में स्पष्ट हुआ है।
मौजूदा सूचकांकों की सीमाएँ
मौजूदा हीटवेव सूचकांक विभिन्न तरीकों से लू की घटनाओं की माप करते हैं, जिनमें अधिकतम वायु तापमान, विकिरण, हवा की गति और नमी शामिल हैं। हालांकि, इन सूचकांकों के विभिन्न मानदंड और सीमा निर्धारित करने के तरीके इस बात की पुष्टि नहीं करते कि कौन सा तरीका सबसे सटीक है। हांगकांग पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि मौजूदा सूचकांकों का प्रदर्शन जलवायु परिवर्तनों के प्रभावों के साथ कैसे बदलता है।
घातक हीट स्ट्रेस सूचकांक की प्रभावशीलता
शोधकर्ताओं ने पाया कि “घातक हीट स्ट्रेस सूचकांक” (DHI) मौजूदा सूचकांकों की तुलना में बेहतर परिणाम प्रदान करता है। यह सूचकांक तापमान और नमी दोनों को ध्यान में रखते हुए उन स्थितियों की पहचान करता है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक खतरनाक हो सकती हैं। घातक हीट स्ट्रेस सूचकांक विशेष रूप से कम नमी वाले इलाकों में खतरनाक गर्मी की स्थितियों का सही पूर्वानुमान लगाने में प्रभावी साबित हुआ है।
विभिन्न परिस्थितियों में सूचकांकों की तुलना
2022 में स्पेन और अमेरिका में, और 2023 में भारत में हुए हीटवेव की घटनाओं पर आधारित विश्लेषण से यह सामने आया है कि अधिकांश मौजूदा सूचकांक लू की गंभीरता को पकड़ने में विफल रहे हैं। इस शोध के अनुसार, घातक हीट स्ट्रेस सूचकांक ने उन क्षेत्रों के बीच का अंतर स्पष्ट किया जहां अत्यधिक हीट स्ट्रेस मौजूद था। यह सूचकांक उन दिनों को सही ढंग से पहचानने में सक्षम है जब खतरनाक गर्मी वाली परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
मौजूदा सूचकांकों की सुधार की आवश्यकता
शोध में यह भी सुझाव दिया गया है कि मौजूदा सूचकांकों को सुधारने की आवश्यकता है ताकि वे अधिक सटीक और व्यापक रूप से प्रभावी हो सकें। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि एक ही क्षेत्र में लोग विभिन्न स्तरों की लू का अनुभव कर सकते हैं, जो कि उनकी आयु, पूर्व स्वास्थ्य स्थितियों और सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है।
भविष्य की दिशा और सुझाव
शोधकर्ताओं का कहना है कि वैश्विक ढांचे की आवश्यकता है जो तापमान, नमी, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और आयु जैसे विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए खतरनाक लू की स्थिति को मापे। इसके अलावा, अध्ययन ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य के शोध में घर के अंदर की स्थितियों और इमारतों की उम्र जैसे तत्वों को शामिल किया जाना चाहिए, जो गर्मी से संबंधित मौतों को प्रभावित कर सकते हैं।
इस अध्ययन के निष्कर्ष वैज्ञानिकों को खतरनाक गर्मी की स्थिति के लिए एक बेहतर सीमा परिभाषा विकसित करने में मदद करेंगे, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति और आपातकालीन प्रबंधन रणनीतियों को प्रभावी ढंग से तैयार किया जा सके।
हीटवेव की घटनाओं की गंभीरता को सही तरीके से मापने के लिए मौजूदा सूचकांकों में सुधार की आवश्यकता है। घातक हीट स्ट्रेस सूचकांक जैसी नई विधियाँ लू की वास्तविक गंभीरता को समझने में मदद कर सकती हैं, लेकिन इसके साथ ही एक वैश्विक ढांचे की भी आवश्यकता है जो विभिन्न कारकों को ध्यान में रखे। यह सभी प्रयास अंततः मानव जीवन की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
source – down to earth