मंगल की सतह के नीचे विशाल जल भंडार के प्रमाण

saurabh pandey
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हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, मंगल ग्रह की सतह के नीचे विशाल जल भंडार हो सकते हैं, जो संभवतः एक दो किलोमीटर गहरे महासागर के निर्माण के लिए पर्याप्त हैं। यह खोज नासा के ‘इनसाइट’ लैंडर के भूकंपीय डेटा पर आधारित है, जो मंगल की सतह, मेंटल, कोर और वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था।

जल भंडार की गहराई और स्थिति

अध्ययन में बताया गया है कि ये जल भंडार सतह से लगभग 11.5 से 20 किलोमीटर नीचे स्थित हैं, जहां तापमान इतना गर्म है कि पानी तरल रूप में रह सकता है। इस पानी का उपयोग भविष्य में मंगल पर बस्तियों के लिए संभव नहीं है, क्योंकि यह सतह से बहुत नीचे है।

भूकंपीय डेटा का विश्लेषण

इनसाइट लैंडर से प्राप्त भूकंपीय डेटा के विश्लेषण से यह निष्कर्ष सामने आया है कि लगभग 300 मिलियन साल पहले मंगल की सतह पर पानी के प्रमाण मिले थे, जो समय के साथ अंतरिक्ष में खो गया। हालांकि, वर्तमान शोध यह संकेत करता है कि मंगल की केंद्रीय सतह के नीचे पानी की मौजूदगी इस ग्रह के जल चक्र का एक महत्वपूर्ण संकेत है।

भूकंपीय तरंगों की भूमिका

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के ग्रह वैज्ञानिकों ने भूकंपीय तरंगों की गति का विश्लेषण करके पानी की मौजूदगी का पता लगाया। इन तरंगों की गति चट्टानों की संरचना और उनमें मौजूद दरारों के आधार पर बदलती है। इस खोज ने मंगल ग्रह के इतिहास और जीवन को सहारा देने की क्षमता के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया है।

मंगल के जलवायु और संभावित जीवन के संकेत

शोधकर्ताओं का मानना है कि तीन अरब साल पहले मंगल एक गर्म ग्रह था, जहां नदियाँ, झीलें और संभवतः महासागर थे। इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि मंगल की सतह पर पानी से भरे होने की संभावना थी और यह पृथ्वी की भूजल प्रक्रियाओं के समान था। यह खोज मंगल ग्रह की जलवायु और उसके संभावित जीवन की संभावनाओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

मंगल ग्रह पर पानी के विशाल भंडार की खोज ने ग्रह के भूतपूर्व जलवायु और संभावित जीवन की क्षमता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। इनसाइट लैंडर के भूकंपीय डेटा से प्राप्त प्रमाण बताते हैं कि मंगल की सतह के नीचे पानी के विशाल भंडार मौजूद हो सकते हैं, जो एक दो किलोमीटर गहरे महासागर के निर्माण के लिए पर्याप्त हैं। हालांकि, यह पानी सतह से कई किलोमीटर नीचे स्थित है, जिससे भविष्य में मंगल पर बस्तियों के लिए इसका उपयोग असंभव प्रतीत होता है।

शोध से यह भी पता चलता है कि मंगल की सतह पर पानी के सबूत तीन अरब साल पहले मौजूद थे, लेकिन समय के साथ यह पानी अंतरिक्ष में खो गया। वर्तमान में, मंगल की केंद्रीय सतह के नीचे पानी की मौजूदगी ने ग्रह के जल चक्र और संभावित जीवन की संभावना के बारे में नई धारणाओं को जन्म दिया है। इस खोज से मंगल के भूतपूर्व जलवायु और भविष्य की अंतरिक्ष अनुसंधान योजनाओं को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिलेगी।

source- दैनिक जागरण

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