इंसानी दिमाग में माइक्रोप्लास्टिक्स के सबूत, प्लास्टिक प्रदूषण का नया खुलासा

saurabh pandey
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वैज्ञानिकों ने हाल ही में इंसानी मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक्स के सबूत खोजे हैं, जो एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करते हैं। इससे पहले, माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी इंसानी रक्त, नसों, फेफड़ों, गर्भनाल, लीवर, किडनी, अस्थि मज्जा, प्रजनन अंगों, घुटने और कोहनी के जोड़ों में पाई जा चुकी है। अब ये कण अन्य अंगों जैसे रक्त, दूध, सीमन और यूरीन में भी मिल चुके हैं।

प्लास्टिक के ये बेहद महीन कण, जो हमारे भोजन, पानी और हवा में घुल चुके हैं, अब इंसानी शरीर के भीतर भी पैठ बना रहे हैं। यह स्थिति इस बात का संकेत है कि प्लास्टिक एक ऐसा जहर बन चुका है, जो हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी अब हर जगह, यहां तक कि अंटार्कटिका में भी देखी जा रही है।

प्लास्टिक के कणों की मौजूदगी हिमालय की ऊंची चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक, हवा और बादलों में भी देखी गई है। यह कण बादलों में पहुंचकर ‘प्लास्टिक वर्षा’ के रूप में धरती पर गिर सकते हैं, जिससे हमारी भोजन और जल आपूर्ति भी दूषित हो सकती है। इसके अलावा, प्लास्टिक के कण बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स को 30 गुना तक बढ़ा सकते हैं, जो एक और गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है।

इन सबूतों के सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक प्रदूषण को तत्काल रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस वैश्विक समस्या की गंभीरता को समझें और पर्यावरणीय नीतियों में बदलाव लाने के साथ-साथ व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर भी प्रयास करें ताकि प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।

इंसानी मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति ने एक नई और गंभीर स्वास्थ्य चुनौती को उजागर किया है। यह खोज, जो हमारे शरीर के अन्य अंगों और शारीरिक तरल पदार्थों में पहले से की जा चुकी थी, अब इस बात की पुष्टि करती है कि प्लास्टिक प्रदूषण का असर मानव स्वास्थ्य पर गहराई से पड़ रहा है। प्लास्टिक के महीन कण, जो हमारे भोजन, पानी और हवा में मिल चुके हैं, अब हमारे महत्वपूर्ण अंगों और शरीर के अन्य हिस्सों में जमा हो रहे हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

यह स्थिति केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है। प्लास्टिक कणों की मौजूदगी अब हर जगह, यहां तक कि अंटार्कटिका में भी देखी जा रही है, और ये कण प्लास्टिक वर्षा के रूप में वापस धरती पर गिर सकते हैं, जिससे हमारा वातावरण और पारिस्थितिकी तंत्र और भी अधिक प्रभावित हो सकता है। इसके अतिरिक्त, इन कणों की वजह से बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स की बढ़ती समस्या भी सामने आ रही है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक और गंभीर खतरा है।

इन हालात को देखते हुए, तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। हमें प्लास्टिक प्रदूषण पर काबू पाने के लिए न केवल वैश्विक नीतियों में बदलाव लाने की जरूरत है, बल्कि व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रयासों के साथ-साथ कड़े नियामक उपायों की भी आवश्यकता है। यह समय है कि हम इस वैश्विक संकट को गंभीरता से लें और मिलकर एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण की दिशा में काम करें।

Source- down to earth  

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