गुजरात में गिर वन क्षेत्र के निकट अवैध खनन का खुलासा
गुजरात के गिर वन क्षेत्र की संरक्षित सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में 76 अवैध खनन क्षेत्रों की पहचान की गई है। यह जानकारी गिर के उप वन संरक्षक द्वारा एनजीटी में दायर किए गए अतिरिक्त हलफनामे के आधार पर प्राप्त हुई है। गिर वन क्षेत्र, गुजरात के जूनागढ़ में स्थित है, और यह क्षेत्र विश्वभर में अपनी जंगली जीवन विविधता के लिए जाना जाता है। उप वन संरक्षक ने बताया कि 11 मार्च, 2024 को कोर्ट द्वारा जारी आदेश के बाद, 14 जून, 2024 को रिपोर्ट तैयार की गई है। अवैध खनन गतिविधियों ने इस संरक्षित क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर गंभीर प्रभाव डाला है।
दामोदर नदी की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम
रामगढ़ में दामोदर नदी को प्रदूषण, अतिक्रमण, और अवैध खनन से बचाने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। रामगढ़ के उपायुक्त ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें नदी के किनारे ठोस कचरे और प्रदूषकों को रोकने के लिए नालों में स्क्रीनिंग की व्यवस्था का उल्लेख है। रिपोर्ट के अनुसार, नदी की सुरक्षा के लिए 19 एमएलडी और 23 एमएलडी क्षमता वाले दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही, नदी के बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण की समस्या को भी संबोधित किया जा रहा है।
तिलगंगा नदी में सीवेज बहने की समस्या
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने 14 जून, 2024 को एनजीटी में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें तिलगंगा नदी में सीवेज बहने की जानकारी दी गई है। निरीक्षण के दौरान, तिलगंगा नदी के किनारे सीवेज बहते हुए पाया गया। कोरेगांव नगर पंचायत ने तिलगंगा नदी किनारे सुरक्षा दीवार और अन्य निर्माण कार्यों के लिए श्री गणेश कंस्ट्रक्शन को टेंडर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंक्रीट की रिटेनिंग दीवार का निर्माण और भूमिगत गटर का निर्माण कार्य जारी है, ताकि घरेलू सीवेज को ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जा सके। संजय गाडे द्वारा की गई शिकायत के अनुसार, इस निर्माण को अवैध बताया गया था।
इन रिपोर्टों से स्पष्ट होता है कि भारत में पर्यावरणीय संकट गंभीर हो गया है। गुजरात में गिर वन क्षेत्र के निकट अवैध खनन, रामगढ़ में दामोदर नदी की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम, और तिलगंगा नदी में सीवेज की समस्या, सभी मामलों में तत्काल और प्रभावी उपायों की आवश्यकता है। इन समस्याओं का समाधान न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए बल्कि समग्र पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
Source- down to earth