वायु गुणवत्ता में सुधार के प्रयास: हालिया रिपोर्ट की समीक्षा

saurabh pandey
4 Min Read

वायु गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों का असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है, लेकिन इस दिशा में लंबा रास्ता तय करना बाकी है। शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान की हालिया रिपोर्ट ‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक, 2024’ के अनुसार, 2021 की तुलना में 2022 में भारत में वायु प्रदूषण में 19.3 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। यह कमी औसतन प्रत्येक भारतीय की जीवन प्रत्याशा में 51 दिनों की वृद्धि को दर्शाती है, जो वायु गुणवत्ता सुधार के लिए किए गए प्रयासों में ठोस प्रगति का संकेत है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में कण प्रदूषण में कमी के लिए अनुकूल मौसम को एक प्रमुख कारण माना गया है। इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका असर अब महसूस किया जा रहा है। 2019 में शुरू किया गया राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) वायु प्रदूषण को 40 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य रखते हैं।

हालांकि, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर देश में पीएम 2.5 कणों की सांद्रता का पांच ग्राम प्रति घन मीटर का वार्षिक मानक पूरा नहीं हुआ, तो लोगों की जीवन प्रत्याशा में करीब साढ़े तीन साल की कमी आने की संभावना है। इसी तरह, मुंबई स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज का हालिया अध्ययन भी चिंता का विषय है। अध्ययन के अनुसार, पीएम 2.5 कणों की अधिकता से नवजात शिशुओं में स्वास्थ्य जोखिम 86 फीसदी तक बढ़ गया है, और पांच साल से कम उम्र के बच्चों में यह खतरा 100 से 120 फीसदी तक बढ़ गया है। यह समस्या विशेष रूप से उन घरों में अधिक है जहां अलग से रसोई की व्यवस्था नहीं है।

शिकागो विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत पीएम 2.5 कणों में 19 प्रतिशत की कमी आई है, जो सकारात्मक संकेत है। लेकिन वायु गुणवत्ता में स्थायी सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। प्रदूषण के स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, जैसे कोयला जलाना, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन और औद्योगिक प्रदूषण को कम करना।

हालांकि वायु प्रदूषण में सुधार के प्रयास सकारात्मक परिणाम दिखा रहे हैं, लेकिन वायु गुणवत्ता के मामले में लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। देश के विभिन्न हिस्सों में वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को देखते हुए, ठोस और निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है ताकि वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और लोगों की जीवन प्रत्याशा में सुधार किया जा सके।

वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए किए गए प्रयासों ने निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं, लेकिन वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। शिकागो विश्वविद्यालय की रिपोर्ट और मुंबई स्थित अध्ययन दोनों ही इस बात की पुष्टि करते हैं कि वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव गंभीर हैं और इसे नियंत्रित करने के लिए निरंतर और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और अन्य सरकारी योजनाओं के सकारात्मक प्रभावों के बावजूद, पीएम 2.5 कणों की सांद्रता को नियंत्रित करने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। वायु गुणवत्ता में स्थायी सुधार के लिए हमें अपने प्रयासों को और अधिक सख्त और समर्पित बनाना होगा, ताकि आने वाले समय में लोगों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हो सके और जीवन प्रत्याशा बढ़ सके।

Source-अमर उजाला

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *