पृथ्वी का आंतरिक कोर हमेशा से वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। यह कोर बाहरी पिघले हुए कोर से घिरा होता है और गुरुत्वाकर्षण के संतुलन में रहता है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि आंतरिक कोर लगातार परिवर्तनशील है और इसका आकार बदल सकता है। यह खोज न केवल भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे पृथ्वी की जलवायु और दिन की लंबाई पर भी असर पड़ सकता है।
आंतरिक कोर की सतह में बदलाव
वैज्ञानिकों ने दशकों पुराने भूकंपीय आंकड़ों का विश्लेषण करके पाया कि आंतरिक कोर पूरी तरह ठोस नहीं है, बल्कि इसकी सतह लगातार बदल रही है। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूएससी) के वैज्ञानिकों ने इस खोज को प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका “नेचर” में प्रकाशित किया।
शोध के अनुसार, पृथ्वी के आंतरिक कोर की सतह पर संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। अब तक, अधिकतर शोध ग्रह के घूर्णन पर केंद्रित थे, लेकिन इस अध्ययन में भूकंपीय तरंगों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि आंतरिक कोर में ऊपरी सतह पर चिपचिपे विरूपण (viscous deformation) होते हैं, जिससे इसके आकार में बदलाव आता है।
भूकंपीय तरंगों से मिले नए संकेत
वैज्ञानिकों ने 1991 से 2024 के बीच अंटार्कटिका के पास स्थित साउथ सैंडविच द्वीप समूह में आए 121 भूकंपों से उत्पन्न भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया। इन तरंगों को फेयरबैंक्स, अलास्का और येलोनाइफ़, कनाडा स्थित रिसीवर स्टेशनों से दर्ज किया गया। अध्ययन के दौरान येलोनाइफ़ स्टेशन से प्राप्त डेटा में असामान्य गुण दिखाई दिए, जिससे यह निष्कर्ष निकला कि पृथ्वी के आंतरिक कोर में नई भौतिक गतिविधियाँ हो रही हैं।
आंतरिक और बाहरी कोर की परस्पर क्रिया
यह अध्ययन इस बात का भी संकेत देता है कि आंतरिक और बाहरी कोर के बीच की बातचीत, आंतरिक कोर के आकार और उसकी सतह के बदलाव के लिए ज़िम्मेदार हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बाहरी कोर पिघले हुए पदार्थ का एक अशांत क्षेत्र है, लेकिन पहले यह स्पष्ट नहीं था कि इसकी अशांति आंतरिक कोर को भी प्रभावित कर सकती है।
पृथ्वी की जलवायु और दिन की लंबाई पर असर
आंतरिक कोर में होने वाले बदलाव पृथ्वी की जलवायु और दिन की लंबाई पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह धीमी गति से लेकिन लगातार घटित होने वाली प्रक्रिया है। यह अध्ययन पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियों और इसके प्रभावों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि पृथ्वी का आंतरिक कोर पूरी तरह स्थिर नहीं है, बल्कि यह निरंतर बदलाव की प्रक्रिया में है। भूकंपीय तरंगों के अध्ययन से वैज्ञानिकों को नई जानकारियाँ मिली हैं, जो पृथ्वी की संरचना और इसकी गतिशीलता को समझने में सहायक हो सकती हैं। इससे न केवल भूगर्भीय विज्ञान में नई संभावनाएँ खुलेंगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी के घूर्णन से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के जवाब भी मिल सकते हैं।