पृथ्वी हाल ही में दो दुर्लभ खगोलीय घटनाओं की गवाह बनी, जब तीन दिनों के अंतराल में दो क्षुद्रग्रह उसके बेहद करीब से गुजरे। रविवार को पृथ्वी के पास से गुजरने वाले 2024 एमके नामक क्षुद्रग्रह की खोज जून की शुरुआत में हुई थी। इसे दुनिया के कई हिस्सों से दूरबीन के जरिए देखा गया था। यह पृथ्वी से करीब तीन लाख किलोमीटर की दूरी पर था। यह दूरी पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी का 77 प्रतिशत थी। इससे पहले 27 जून को एक बड़ा क्षुद्रग्रह 2011 यूएल 21 पृथ्वी के पास से गुजरा था। दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियों ने इसे दुर्लभ संयोग माना है।
यह एक बहुत बड़ा क्षुद्रग्रह है जो इस बार पृथ्वी के बहुत करीब आ गया है, लेकिन हमारे ग्रह के लिए कोई खतरा नहीं है। इतालवी खगोलशास्त्री जियानलुका मासी ने कहा कि क्षुद्रग्रह 2024 एमके का व्यास लगभग 200 मीटर है। जबकि 2.3 किलोमीटर व्यास वाला 2011 यूएल 21 क्षुद्रग्रह सभी ज्ञात निकट-पृथ्वी वस्तुओं (NEO) के 99 प्रतिशत से बड़ा है। वर्चुअल टेलीस्कोप के अनुसार, इस आकार का एक क्षुद्रग्रह औसतन हर 10 साल में एक बार पृथ्वी के करीब आता है।
क्षुद्रग्रह क्या हैं?
क्षुद्रग्रह (Asteroids) छोटे, चट्टानी पिंड होते हैं जो मुख्यतः मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच स्थित क्षुद्रग्रह पट्टी (Asteroid Belt) में पाए जाते हैं। इन्हें कभी-कभी “मिनी ग्रह” या “छोटे ग्रह” भी कहा जाता है। क्षुद्रग्रहों का आकार कुछ मीटर से लेकर सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकता है। इन्हें ग्रहों का अवशेष माना जाता है, जो सौरमंडल के निर्माण के समय से बचे हुए हैं।
क्षुद्रग्रहों के प्रकार
क्षुद्रग्रहों को उनकी संरचना और स्थान के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
कार्बनयुक्त क्षुद्रग्रह (C-type): ये सबसे सामान्य होते हैं और इनका रंग गहरा होता है। इनमें कार्बनिक पदार्थ और हाइड्रेटेड मिनरल्स पाए जाते हैं।
धात्विक क्षुद्रग्रह (M-type): इनमें धातुएं अधिक मात्रा में होती हैं, जैसे कि निकल और लोहे।
सिलिकेट क्षुद्रग्रह (S-type): इनमें सिलिकेट मिनरल्स और निकेल-लोहे की मिश्रधातु पाई जाती है।
क्षुद्रग्रहों का महत्व
क्षुद्रग्रहों का अध्ययन खगोलविज्ञानियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सौरमंडल के प्रारंभिक काल की जानकारी प्रदान करते हैं। इनके अध्ययन से यह समझने में मदद मिलती है कि हमारे सौरमंडल का गठन कैसे हुआ और पृथ्वी जैसे ग्रहों का विकास कैसे हुआ। इसके अलावा, कुछ क्षुद्रग्रहों में कीमती धातुएं और खनिज पाए जाते हैं, जो भविष्य में खनन के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
क्षुद्रग्रहों से खतरा
क्षुद्रग्रह कभी-कभी पृथ्वी के पास से गुजरते हैं, और अगर वे पृथ्वी से टकरा जाएं तो बड़े विनाश का कारण बन सकते हैं। इसलिए, अंतरिक्ष एजेंसियां इनकी कक्षा का नियमित रूप से निरीक्षण करती हैं और संभावित खतरों को पहचानने और उनसे बचने के उपाय करती हैं।
source- अमर उजाला समाचार पत्र
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