हालिया अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 के संक्रमण के कारण बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों में वृद्धि हो सकती है। यह शोध जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 से संक्रमित बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का विकास तेजी से हो सकता है, जो कि एक ऑटो-इम्यून बीमारी है।
टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों में अत्यधिक प्यास लगना, भूख बढ़ना, बार-बार पेशाब आना, थकान और धुंधली दृष्टि शामिल हैं। इस स्थिति का उपचार आमतौर पर इंसुलिन थेरेपी के माध्यम से होता है, जिसमें पूरे दिन में कई बार इंसुलिन के इंजेक्शन लगते हैं। ऑटोइम्यून विकारों में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही स्वस्थ कोशिकाओं और अंगों पर हमला करती है, बजाय इसके कि वह बाहरी रोगजनकों पर हमला करे।
2020 से 2023 तक के आंकड़ों पर आधारित इस अध्ययन में, कोविड-19 संक्रमण और बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों के बीच संबंध की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 से संक्रमित बच्चों में आइलेट ऑटोएंटीबॉडी की मात्रा अधिक पाई गई, जो अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती है और इस प्रकार टाइप 1 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
जर्मनी के म्यूनिख स्थित हेल्महोल्ट्ज़ इंस्टीट्यूट ऑफ़ डायबिटीज़ रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बच्चों में पहले से ही आइलेट ऑटोएंटीबॉडी मौजूद थे, उनमें कोविड-19 संक्रमण के बाद टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण तेजी से उभर कर सामने आए। यह स्थिति उन बच्चों की तुलना में तेजी से विकसित हुई जो कोविड-19 से संक्रमित नहीं थे।
शोध के अनुसार, 2020 से 2023 के बीच कोविड-19 से संक्रमित बच्चों के रक्त के नमूनों में SARS-CoV-2 वायरस और टाइप 1 डायबिटीज के बीच संबंध का मूल्यवान डेटा एकत्र किया गया।
source- दैनिक जागरण