दिल्ली के तालाब और जोहड़ अब तेजी से कचरे के ढेर में तब्दील हो रहे हैं, जिससे उनकी प्राकृतिक पहचान खत्म होती जा रही है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की हालिया रिपोर्ट ने इस गंभीर समस्या का खुलासा किया है, जिसमें पर्यावरण नियमों का उल्लंघन और तालाबों में कचरे की डंपिंग का मामला सामने आया है।
डीपीसीसी की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष पेश की गई डीपीसीसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के आर्य नगर गांव के तालाब में भारी मात्रा में कचरा भरा हुआ है। इसमें प्लास्टिक की बोतलें, पॉलीथीन और अन्य कचरे को तैरते हुए पाया गया। इसके अलावा, पार्क में गोबर और अन्य कचरा भी देखा गया, जो एमसीडी के प्रबंधन के तहत आता है।
एनजीटी ने किया कार्रवाई का आदेश
एनजीटी ने डीपीसीसी, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली वेटलैंड प्राधिकरण को मामले में प्रतिवादी बनाया है और उन्हें अगली सुनवाई से पहले हलफनामे के रूप में अपना जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर, 2024 को होनी है।
सिंगल यूज प्लास्टिक पर भी निगरानी का आदेश
एनजीटी ने बवाना और नरेला में सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के उत्पादन से जुड़े मामले में भी दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम और दिल्ली नगर निगम से जवाब मांगा है। डीपीसीसी ने इन क्षेत्रों में 36 इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन वे आदेश का उल्लंघन कर अभी भी चल रही हैं।
एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स के अवशेषों की निगरानी
एनजीटी ने एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स के अवशेषों की निगरानी के मामले में भी 29 नवंबर, 2024 को अगली सुनवाई का आदेश दिया है। सीपीसीबी ने इसके लिए दिशा-निर्देश भी सौंपे हैं।
दिल्ली के तालाबों और जोहड़ों की बिगड़ती स्थिति एक गंभीर पर्यावरणीय संकट को दर्शाती है। कचरे की डंपिंग और अवैध गतिविधियों ने इन प्राकृतिक जल स्रोतों को नष्ट करने के कगार पर ला दिया है। इस स्थिति को सुधारने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इन तालाबों और जोहड़ों को बचाया जा सके और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके।
Source- down to earth