दक्षिण अमेरिका के वर्षावनों में वैज्ञानिकों ने कोको बीन्स के करीब पौधों की तीन नई प्रजातियों की खोज की है। ये प्रजातियाँ थियोब्रोमा ग्लोवोसम, थियोब्रोमा नर्वोसम, और थियोब्रोमा शुल्टेसी हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन नई प्रजातियों की खोज चॉकलेट उत्पादन को आगे बढ़ाने में मदद कर सकती है, जो कि वर्षावनों में होने वाले बदलाव और काली फली रोग के कारण खतरे में हैं।
इस खोज का प्रमुख उद्देश्य यह है कि ये नई प्रजातियाँ अधिक स्थायी हों, ताकि वे मौसमी परिवर्तन और बीमारियों से जूझ सकें। वैज्ञानिक डॉ. जेम्स रिचर्डसन के अनुसार, इस खोज से ऐसे कोको के पेड़ विकसित किए जा सकते हैं जो कीमती खाद्य सामग्री के उत्पादन में मदद कर सकते हैं।
कोको बीन्स:
कोको बीन्स एक मीठा फल हैं जो चॉकलेट और अन्य कई मिठाईयों के मुख्य घटक होते हैं। ये फलियाँ कोको पेड़ के फली में पाई जाती हैं और इनका उपयोग विभिन्न खाद्य उत्पादों में किया जाता है। कोको बीन्स की प्रमुख उपज क्षेत्रों में पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, और एशिया में पायी जाती हैं।
प्रमुख उपयोग:
- चॉकलेट उत्पादन: कोको बीन्स का प्रमुख उपयोग चॉकलेट उत्पादन में होता है। इन बीन्स को भूनकर और पीसकर चॉकलेट बनाया जाता है, जो कि व्यापारिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।
- अन्य मिठाईयाँ: कोको बीन्स से अन्य मिठाईयाँ भी बनती हैं जैसे कि कोको पाउडर, चॉकलेट बार्स, चॉकलेट चिप्स, और कोको केक्स।
- चिकित्सा उपयोग: कोको बीन्स में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इन्हें स्वास्थ्यपन में भी इस्तेमाल किया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- कोको बीन्स के पेड़ के तने और शाखाओं पर फल उगते हैं जिन्हें फली कहा जाता है। इनमें बीज होते हैं जिन्हें कोको शिराएँ कहा जाता है।
- ये फलियाँ जलवायु के अनुकूल वातावरण में ही उगाई जाती हैं और इसके लिए उच्च नमी और गर्मी की आवश्यकता होती है।
नई खोज:
हाल ही में वैज्ञानिकों ने दक्षिण अमेरिका के वर्षावनों में कोको बीन्स के करीब पौधों की तीन नई प्रजातियों की खोज की है। इन नई प्रजातियों की खोज से उत्पादन में सुधार हो सकता है और कोको उत्पादों की स्थायिता में मदद मिल सकती है।
कोको बीन्स का उपयोग व्यापार, खाद्य, और स्वास्थ्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इनकी नई प्रजातियों की खोज से चॉकलेट और अन्य कोको उत्पादों के उत्पादन में सुधार हो सकता है और इनकी स्थायिता में मदद मिल सकती है।
कोको बीन्स के उत्पादन में हाल ही में तीन गुना की वृद्धि आई है, जिसका कारण सूखे का प्रभाव है जो पश्चिमी अफ्रीका में महसूस हो रहा है। इस बढ़ती कीमत के साथ, यह खोज चॉकलेट और अन्य कोको उत्पादों के उत्पादन में उन्हें मदद कर सकती है जो जलवायु परिवर्तन और बीमारियों से जूझ रहे हैं।
चॉकलेट उत्पाद में उपयुक्त कच्चे माल कोको बीन्स की कीमतों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग चार गुना बढ़ी है।
source and data – अमर उजाला