दिल्ली-एनसीआर में रात के समय ओजोन के बढ़ते स्तर ने नई समस्या खड़ी कर दी है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, रात में ग्राउंड लेवल ओजोन का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे लोगों को श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं हो रही हैं।
प्रमुख कारण और प्रक्रिया
ओजोन सीधे किसी स्रोत से उत्सर्जित नहीं होता। यह वाहनों, बिजली संयंत्रों और अन्य स्रोतों से उत्सर्जित नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) से बनता है। दिन के समय सूरज की रोशनी में ये यौगिक ओजोन का निर्माण करते हैं। हालांकि, रात में यह टूटने की बजाय उच्च स्तर पर बना रहता है, खासकर कम प्रदूषण वाले क्षेत्रों में।
श्वसन तंत्र पर असर
ओजोन का उच्च स्तर बुजुर्गों और बच्चों के फेफड़ों पर गंभीर असर डाल रहा है, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और फेफड़ों के संक्रमण जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। यह समस्या खासकर उन लोगों के लिए खतरनाक है जो पहले से ही हृदय या फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, ओजोन को नियंत्रित करने के लिए सरकार को नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। सख्त नियमों के साथ-साथ, वाहनों और उद्योगों से होने वाले जहरीले उत्सर्जन को रोकने के लिए भी उपाय जरूरी हैं। इस प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए सामूहिक और ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है, ताकि श्वसन संबंधी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सके।
दिल्ली-एनसीआर में रात के समय बढ़ते ओजोन प्रदूषण ने एक नई स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति पैदा कर दी है, जिससे खासकर बुजुर्ग, बच्चे और श्वसन रोगों से पीड़ित लोग अधिक प्रभावित हो रहे हैं। ओजोन का असामान्य स्तर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहा है, जिसमें अस्थमा, फेफड़ों की सूजन और संक्रमण शामिल हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को नीतिगत हस्तक्षेप और सख्त नियमों की आवश्यकता है। उद्योगों और वाहनों से होने वाले जहरीले उत्सर्जन पर नियंत्रण, साथ ही जागरूकता कार्यक्रमों की मदद से इसे रोका जा सकता है, ताकि जनता की सेहत को सुरक्षित रखा जा सके।
Source- amar ujala