पंजाब के बठिंडा में बढ़ती पराली जलाने की घटनाओं के साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ता जा रहा है। दशहरे के दिन बठिंडा में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 तक पहुंच गया, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जाता है। रविवार को भी AQI 344 दर्ज किया गया, जो फिर से गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
राज्य सरकार ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियानों का आयोजन किया है, और हर जिले में विशेष टीमें तैनात की गई हैं। ये टीमें तुरंत कार्रवाई करती हैं जब कहीं पराली जलाए जाने की सूचना मिलती है। हालाँकि, इन प्रयासों के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, हाल के दिनों में अधिकांश जिलों में AQI 100 से अधिक रहा है। इससे फेफड़ों, दमा, और हृदय रोगों से पीड़ित लोगों को सांस लेने में समस्या हो सकती है। बठिंडा, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, मंडी गोबिंदगढ़, पटियाला और रूपनगर जैसे शहरों में AQI स्तर चिंताजनक है। रविवार को राज्य में 162 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आए, जिनमें से सबसे अधिक 48 मामले अमृतसर में हुए।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
वायु प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित एक जनहित याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। पिछले सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों से वसूले जा रहे नाममात्र मुआवजे पर चिंता जताई थी।
सीएक्यूएम (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि उसने पराली जलाने पर एक भी मामला शुरू नहीं किया है। इसके बाद, सीएक्यूएम ने हाल ही में निर्देश जारी किया, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर क्षेत्रों के जिलाधिकारियों को निष्क्रिय पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया गया।
इसके अलावा, जिले में 26 केंद्रीय टीमें तैनात की जाएंगी, जो जिला स्तर के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाए रखेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा था कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए सीएक्यूएम को अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है।
बठिंडा और अन्य शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति अत्यंत गंभीर है, और यह स्थिति केवल जागरूकता अभियानों और सरकारी प्रयासों के बावजूद सुधरती नहीं दिख रही है। समय रहते ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।
बठिंडा में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर और पराली जलाने की घटनाओं के कारण स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के खतरनाक स्तरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान जागरूकता अभियानों और सरकारी उपायों के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी और संबंधित अधिकारियों की निष्क्रियता के बावजूद, इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, किसानों को पराली प्रबंधन के लिए वैकल्पिक समाधान प्रदान करना जरूरी है।
यदि समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है। यह आवश्यक है कि सरकार, स्थानीय निकाय और नागरिक समाज मिलकर एक ठोस योजना बनाएं ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और लोगों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सके।