दिल्ली और गुरुग्राम में हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि प्रदूषण नियंत्रण (PUC) सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद भी वाहन सड़कों पर अपेक्षाकृत अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। इस अध्ययन से पता चला है कि PUC जांच, जो वाहनों के प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए अनिवार्य है, वास्तविकता में सड़कों पर निकलने वाले प्रदूषण का सही आकलन नहीं कर पाती।
अध्ययन के मुख्य बिंदु
अध्ययन में 1.11 लाख से अधिक वाहनों की जांच की गई, जिसमें दोपहिया, तिपहिया, कार, हल्के मालवाहक वाहन और बसें शामिल थीं। यह अध्ययन दिल्ली और गुरुग्राम के बीस विभिन्न स्थानों पर किया गया, जिसमें रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया गया। इस प्रक्रिया से सामने आया कि PUC प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बावजूद, वाहन सड़कों पर मानकों से अधिक धुआं और प्रदूषक तत्व छोड़ते हैं।
विशेष रूप से CNG से चलने वाले वाहनों के बारे में यह पाया गया कि वे PUC द्वारा निर्धारित मानकों से 14 गुना अधिक धुआं उत्सर्जित कर रहे हैं। इसके अलावा, इस अध्ययन में दिल्ली और हरियाणा के वाहनों की प्रमुखता पाई गई, जिनमें से 52.9 प्रतिशत वाहन दिल्ली और 27.9 प्रतिशत हरियाणा के थे।
प्रदूषण नियंत्रण में सुधार की आवश्यकता
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि वर्तमान PUC परीक्षण प्रणाली पर्याप्त नहीं है और इसमें सुधार की जरूरत है। ICCT (इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन) ने सुझाव दिया है कि PUC परीक्षणों में धुआं परीक्षण भी शामिल होना चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि वाहन वास्तव में सड़कों पर कितना धुआं छोड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग कुछ समय के लिए PUC परीक्षण प्रक्रिया में किया जाना चाहिए, जिससे वास्तविक प्रदूषण स्तर का बेहतर आकलन हो सके।
बीएस6 वाहनों का प्रदर्शन
भारत चरण (BS) 6 मानकों के अंतर्गत वाहन, विशेष रूप से कारों और बसों से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) के उत्सर्जन में काफी कमी देखी गई है। BS4 की तुलना में, BS6 वाहनों से NOx उत्सर्जन में कारों के मामले में 81% और बसों के मामले में लगभग 95% की कमी आई है।
हालांकि, वाणिज्यिक वाहन अभी भी अधिक NOx उत्सर्जित कर रहे हैं, जबकि निजी वाहन अपेक्षाकृत कम उत्सर्जन करते हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि BS6 टैक्सी और हल्के मालवाहक वाहन, निजी कारों की तुलना में 2.4 और 5.0 गुना अधिक NOx उत्सर्जित करते हैं।
यह अध्ययन एक महत्वपूर्ण संकेत देता है कि मौजूदा PUC प्रणाली को सुदृढ़ करने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिक कठोर और प्रभावी उपायों की आवश्यकता है। बिना सख्त निगरानी और सुधार के, वाहन प्रदूषण से निपटने में वर्तमान प्रणाली पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही है।
source- अमर उजाला