देश में वायु प्रदूषण की स्थिति हर दिन गंभीर होती जा रही है। अगर आंकड़ों पर नजर डालें, तो केवल कुछ शहरों में हवा साफ बची है, जबकि अधिकांश स्थानों पर वायु गुणवत्ता का स्तर खतरनाक बना हुआ है। राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण में मामूली गिरावट देखने को मिली है, फिर भी यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 339 है, जो इसे ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रखता है।
सिंगरौली और जैसलमेर भी प्रदूषण से प्रभावित
दिल्ली के अलावा सिंगरौली और जैसलमेर जैसे शहरों की हवा भी जहरीली हो चुकी है। सिंगरौली में एक्यूआई 324 और जैसलमेर में 323 दर्ज किया गया, जो इनकी स्थिति को ‘बेहद खराब’ श्रेणी में लाता है। हालांकि, राहत की बात यह है कि देशभर में ‘बेहद खराब’ हवा वाले शहरों की संख्या में कमी आई है।
खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की सूची लंबी
देश के 36 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब पाई गई है। इनमें अगरतला, गाजियाबाद, पटना, नोएडा और कोलकाता जैसे शहर शामिल हैं। दूसरी ओर, आइजोल देश का सबसे स्वच्छ शहर बना हुआ है, जहां का एक्यूआई मात्र 21 है। इसके अलावा, कुछ अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक स्तर पर बनी हुई है।
मध्यम श्रेणी में 118 शहर
फरीदाबाद समेत 118 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम स्तर पर दर्ज की गई है। इन शहरों में आगरा, जयपुर, मुंबई, भोपाल और लखनऊ प्रमुख रूप से शामिल हैं।
प्रदूषण पर नियंत्रण की आवश्यकता
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। हरित ऊर्जा का उपयोग, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, और औद्योगिक प्रदूषण पर सख्ती से नियंत्रण जैसे उपाय इस दिशा में मददगार हो सकते हैं।
वायु प्रदूषण की समस्या देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। दिल्ली समेत अन्य शहरों की स्थिति सुधारने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कार्य करना होगा। नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता के बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। स्वच्छ हवा हर नागरिक का अधिकार है, और इसे सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
देश में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। दिल्ली, सिंगरौली, जैसलमेर जैसे शहरों की स्थिति यह बताती है कि समस्या केवल महानगरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे शहर भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। स्वच्छ हवा की उपलब्धता प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, और इसे सुनिश्चित करना सरकार के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नीतियों, जागरूकता अभियानों और हरित ऊर्जा जैसे समाधानों को अपनाना अब समय की आवश्यकता है। यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में इसके दुष्परिणाम और भी घातक हो सकते हैं। स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य के लिए सामूहिक प्रयासों की दरकार है।