दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना नदी के तट पर अतिक्रमण और अवैध निर्माणों के मुद्दे पर डीडीए उपाध्यक्ष को सख्त निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के तहत, सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माणों को हटाने का आदेश दिया गया है, साथ ही नदी में बहने वाले नालों को भी साफ करने के लिए निर्देश जारी किया गया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों को समन्वय के लिए नियुक्त किया है। वे निर्देश देने के लिए अगले छह सप्ताह में कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने के लिए भी निर्देश दिया गया है। यह कदम नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने और बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यमुना नदी के किनारों पर अवैध और अनधिकृत निर्माणों के संबंध में कई ज्ञापन डीडीए और एमसीडी को उचित कार्रवाई के लिए भेजे गए हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने निकट भविष्य में यमुना नदी तट और उसके बाढ़ मैदानों को लेकर चिंता व्यक्त की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस, डीएमआरसी, डीपीसीसी, पीडब्ल्यूडी और अन्य एजेंसियों को निर्देश दिए हैं और सभी संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाने के लिए भी निर्देश जारी किया है।
यह निर्देश दिल्ली में बाढ़ के मानव निर्मित वजह से हुई थी, जो मुख्य रूप से नालों, नदी के किनारों और नदी के तल पर अतिक्रमण के कारण हुई थी। इससे आसपास के इलाकों में बाढ़ आने का खतरा बढ़ गया था।
यह मामला नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है और दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे संरक्षित रखने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाने का निर्देश दिया है।
source and data – दैनिक जागरण