एम्स में क्रिटिकल केयर एवं संक्रामक रोग केंद्र के निर्माण में देरी: एक चिंता का विषय

saurabh pandey
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कोविड-19 महामारी के बाद देश में संक्रामक रोगों से लड़ने की तैयारियों पर विशेष जोर दिया गया था, लेकिन हकीकत यह है कि एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी इन तैयारियों को लेकर ढिलाई बरती जा रही है। एम्स में 150 बेड के क्रिटिकल केयर एवं संक्रामक रोग केंद्र के निर्माण का काम, जिसे तेजी से पूरा होना चाहिए था, अब तक शुरू नहीं हो पाया है।

इस परियोजना के लिए टेंडर लगभग 10 महीने पहले आवंटित कर दिया गया था, लेकिन अब तक निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं हो पाई है। एम्स ट्रॉमा सेंटर परिसर में जहां इस केंद्र का निर्माण होना है, उस जमीन पर मौजूद 75 पेड़ों को हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना है। लेकिन, दिल्ली सरकार के वन विभाग से मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह कार्य रुका हुआ है। परियोजना की शुरुआती लागत 180 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जो अब बढ़कर 215 करोड़ रुपये हो गई है।

संक्रामक रोगों से निपटने की तैयारी अधूरी

कोरोना महामारी ने हमें सिखाया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में तैयारियों का अभाव गंभीर संकट पैदा कर सकता है। बावजूद इसके, एम्स में इस परियोजना की प्रगति धीमी है। कोरोना के बाद मंकीपॉक्स जैसी बीमारियों के बढ़ते खतरे के बावजूद, इस केंद्र का निर्माण न होना गंभीर चिंता का विषय है।

परियोजना की मौजूदा स्थिति

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत इस परियोजना के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। एम्स प्रशासन का कहना है कि परियोजना की लागत में वृद्धि होने के बावजूद, इसे जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास जारी है। अब तक, पीएम-अभिनव मिशन के तहत 36 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है, जिसे सीपीडब्ल्यूडी को भुगतान कर दिया गया है।

एम्स प्रशासन ने बताया कि पेड़ों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के लिए वन विभाग से मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। साथ ही, पर्यावरण मंजूरी के लिए राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) में भी आवेदन किया गया है। मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। एक बार काम शुरू होने के बाद, इसे 20 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

संक्रामक रोगों से निपटने की चुनौती

संक्रामक रोगों से निपटने के लिए इस तरह के केंद्रों का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। अगर एम्स जैसे संस्थानों में परियोजनाओं की यह स्थिति है, तो अन्य जगहों पर क्या हालात होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित विभाग इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्माण कार्य की प्रगति में तेजी लाएं, ताकि भविष्य में किसी भी संक्रामक बीमारी से निपटने के लिए देश पूरी तरह से तैयार हो सके।

एम्स में क्रिटिकल केयर एवं संक्रामक रोग केंद्र के निर्माण में हो रही देरी न केवल प्रशासनिक ढिलाई को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि देश की स्वास्थ्य प्रणाली अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रही है। कोरोना महामारी के बाद देशभर में स्वास्थ्य अवसंरचना को सुदृढ़ करने की आवश्यकता महसूस की गई थी, लेकिन इस परियोजना की धीमी प्रगति बताती है कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

इस देरी का सीधा असर संक्रामक रोगों से निपटने की हमारी तैयारियों पर पड़ सकता है। ऐसे में, यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित विभाग त्वरित कार्रवाई करें, ताकि भविष्य में इस तरह की परियोजनाओं में बाधाएं न आएं और देश किसी भी स्वास्थ्य संकट का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो।

source- दैनिक जागरण

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