उत्तराखंड में इस साल सितंबर का महीना असामान्य रूप से गर्म रहा है। मानसून के कमजोर पड़ने के बाद राज्य के अधिकांश हिस्सों में शुष्क मौसम बना हुआ है, और तापमान में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। देहरादून में सोमवार को पारा 36.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो 50 साल का सबसे ऊंचा रिकॉर्ड है। इससे पहले सितंबर में इतने अधिक तापमान का रिकॉर्ड 1974 में दर्ज किया गया था, जब 4 सितंबर को अधिकतम तापमान 36.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा था।
पिछले सालों में तापमान का विश्लेषण
हाल के वर्षों में, सितंबर के महीने में देहरादून का तापमान आमतौर पर 33-35 डिग्री के बीच रहा है। हालांकि, इस साल तापमान सामान्य से 6 डिग्री अधिक दर्ज किया गया है, जो जलवायु परिवर्तन और मानसून की अनियमितता का संकेत है। पिछले वर्षों के तापमान रिकॉर्ड से तुलना करने पर यह साफ होता है कि पिछले कुछ वर्षों से सितंबर में तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे लोगों को असामान्य गर्मी का सामना करना पड़ रहा है।
वर्ष अधिकतम तापमान (°C)
- 2023 36.2
- 2022 33.9
- 2021 34.0
- 2020 35.7
- 2019 34.9
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तराखंड में फिलहाल मानसून की सक्रियता धीमी है, जिससे तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। खासकर देहरादून और आसपास के इलाकों में सुबह और शाम भले ही मौसम सुहाना बना हुआ हो, लेकिन दिन में तेज धूप लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है।
शिमला में भी गर्मी का सितम
देहरादून के साथ ही हिमाचल प्रदेश के शिमला में भी असामान्य गर्मी का अनुभव किया गया। सोमवार को शिमला में 1994 के बाद सितंबर का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया। शिमला में तापमान 28.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सितंबर के महीने में असामान्य रूप से ऊंचा है। 30 साल पहले 1994 में इसी महीने में तापमान 28.6 डिग्री दर्ज किया गया था, जो अब तक का सर्वाधिक तापमान रिकॉर्ड है।
सोलन में भूस्खलन, राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित
वहीं, हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के कराड़ाघाट क्षेत्र में रविवार की रात को एक पहाड़ी दरकने से शिमला-बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित हो गया। इस घटना के कारण सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। पहाड़ी से गिरे मलबे के कारण लगभग 15 घंटे तक सड़क बंद रही, जिससे यातायात को वैकल्पिक मार्गों से भेजना पड़ा। मलबे को हटाने का काम तेजी से शुरू किया गया और 15 घंटे बाद एक लेन खोल दी गई, जिससे वाहनों की आवाजाही पुनः शुरू हो सकी।
क्लाइमेट चेंज के संकेत
देहरादून और शिमला में बढ़ते तापमान और मौसम में हो रहे बदलाव जलवायु परिवर्तन के स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। मानसून की अनियमितता और गर्मी की बढ़ती तीव्रता से न केवल किसानों को मुश्किलें हो रही हैं, बल्कि आम जनजीवन पर भी इसका असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जलवायु परिवर्तन की इस दर को नहीं रोका गया, तो आने वाले वर्षों में मौसम की ये चरम स्थितियां और अधिक गंभीर हो सकती हैं।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में असामान्य तापमान वृद्धि और जलवायु में हो रहे बदलाव चिंताजनक हैं। जहां देहरादून में 50 साल का तापमान रिकॉर्ड टूटा है, वहीं शिमला में भी 30 साल का उच्चतम तापमान दर्ज किया गया है। इससे साफ होता है कि जलवायु परिवर्तन अब एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है। सरकार और आम जनता दोनों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण की स्थापना की जा सके।
देहरादून और शिमला जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ता तापमान और शुष्क मौसम जलवायु परिवर्तन का गंभीर संकेत है। देहरादून में 50 साल का तापमान रिकॉर्ड टूटना और शिमला में 30 साल का उच्चतम तापमान दर्ज किया जाना इस बात को दर्शाता है कि जलवायु में हो रहे बदलाव तेजी से हो रहे हैं। यह सिर्फ पहाड़ी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य हिस्सों में भी इसका प्रभाव दिख रहा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का असामान्य व्यवहार, जैसे गर्मी का बढ़ना और बारिश की अनिश्चितता, आने वाले समय में और अधिक गंभीर हो सकता है। यह समय है कि सरकार और समाज दोनों मिलकर ठोस कदम उठाएं, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सके और इन प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सके।
Source- dainik jagran