मिट्टी की नमी में कमी और तापमान में वृद्धि: पौधों और पारिस्थितिकी पर गंभीर खतरा

saurabh pandey
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हाल ही में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के चलते मिट्टी के सूखने और गर्म होने की घटनाओं में तेज वृद्धि हुई है। शोधकर्ताओं का मानना है कि जंगलों के घटने और नमी वाली जमीन को कृषि भूमि में बदलने से “सॉइल कंपाउंड ड्राउट – हीटवेव” (एससीडीएचडब्ल्यू) का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति केवल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए ही नहीं, बल्कि मानव जीवन के लिए भी गंभीर संकट पैदा कर रही है।

शोध की मुख्य बातें

चीनी अकादमी ऑफ साइंसेज के नानजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ ज्योग्राफी एंड लिम्नोलॉजी द्वारा किए गए इस शोध में 1980 से 2023 तक की अवधि में मिट्टी पर सूखे और भयंकर गर्मी के प्रभावों का अध्ययन किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि पिछले 44 वर्षों में सूखे और भयंकर गर्मी की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है, विशेष रूप से इस सदी में।

शोध में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग ने इन घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एल नीनो के वर्ष में स्थिति और भी बिगड़ गई है, जिससे जल सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध का अंतर

शोध में पाया गया कि उत्तरी गोलार्ध में एससीडीएचडब्ल्यू की घटनाएं अधिक तीव्र हैं और दक्षिणी गोलार्ध में ये अधिक समय तक बनी रहती हैं। उत्तरी उच्च अक्षांशों में तापमान के बढ़ने से स्थिति और भी गंभीर हो गई है, जो खाद्य सुरक्षा और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के प्रयासों को प्रभावित कर रही है।

नीतिगत सिफारिशें

इस गंभीर संकट से निपटने के लिए, शोधकर्ताओं ने स्थायी नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। यदि इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो इस सदी के अंत तक एससीडीएचडब्ल्यू की औसत अवधि 70 दिनों से अधिक हो सकती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में और गिरावट आएगी।

इस शोध से स्पष्ट होता है कि मिट्टी का संरक्षण और जलग्रहण प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर हम अपने पर्यावरण की रक्षा करने में विफल रहते हैं, तो न केवल हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होगा, बल्कि यह मानव जीवन के लिए भी गंभीर खतरा बन जाएगा।

जलवायु परिवर्तन के इस संकट का सामना करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। हमें अपनी पारिस्थितिकी और जल सुरक्षा को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

यह स्पष्ट है कि मिट्टी का सूखना और गर्म होना केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता, और जलवायु संतुलन के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। शोध में मिले आंकड़े बताते हैं कि सॉइल कंपाउंड ड्राउट – हीटवेव (एससीडीएचडब्ल्यू) के प्रभाव आने वाले वर्षों में और बढ़ने की संभावना है, जिससे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में नकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं।

इस संदर्भ में, यह अत्यंत आवश्यक है कि विश्वभर के देश स्थायी नीतियों और रणनीतियों को अपनाएं जो मिट्टी के संरक्षण, जलग्रहण प्रबंधन और वनों के संरक्षण को प्राथमिकता दें। अगर हम आज कदम नहीं उठाते हैं, तो भविष्य की पीढ़ियों को गंभीर जलवायु संकट और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। वैज्ञानिक समुदाय ने चेतावनी दी है कि यदि इस दिशा में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो हम एक ऐसे खतरे के कगार पर हैं जिसका असर न केवल प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ेगा, बल्कि मानवता के अस्तित्व को भी चुनौती देगा।

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