जलवायु परिवर्तन स्वालम्बित निगरानी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में 0.26 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की अप्रत्याशित गति से वैश्विक तापमान बढ़ रहा है। लीड्स विश्वविद्यालय के 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के इस अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन
प्रोफेसर फोर्स्टर ने कहा, “जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन सभी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 70 प्रतिशत है और स्पष्ट रूप से जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को तेजी से शून्य करने के लिए अधिक तात्कालिक कदमों की आवश्यकता है।”
1.5 डिग्री की सीमा पार कर सकता है तापमान
अध्ययन के अनुसार, इससे यह स्पष्ट होता है कि जलवायु संकट की गंभीरता कहीं अधिक तेजी से बढ़ रही है। नए निकष के अनुसार, वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को अगले पांच वर्षों में पार कर सकता है। यह सीमा पेरिस समझौते में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है।
पिछले दशक की तुलना
पिछले आंकड़ों के आधार पर यह नतीजा निकला गया है कि पिछले एक दशक में 0.26 डिग्री की दर से वृद्धि हो रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मानव गतिविधियों के कारण तापमान में यह बढ़ोतरी हो रही है। कार्बन एडजस्टमेंट इंडेक्स के अनुसार, वर्तमान उत्सर्जन दर से सिर्फ पांच वर्षों में लगभग 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है।
वैश्विक उपाय
विशेषज्ञों का कहना है कि 2024 से 2028 तक प्रत्येक वर्ष वैश्विक तापमान के औद्योगिक युग की शुरुआत के पूर्व से 1.5 डिग्री सेल्सियस के बीच औसत वृद्धि की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान एजेंसी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में इस चिंता को व्यक्त किया। यह अध्ययन इस बात को रेखांकित करता है कि ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव कितनी तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए कितनी जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करना है, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नियंत्रित किया जा सके और भविष्य में अधिक स्थायी और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।