प्लास्टिक का खतरा: माइक्रोप्लास्टिक मानव मस्तिष्क तक पहुंच चुका है

saurabh pandey
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हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह चिंता बढ़ाने वाली जानकारी सामने आई है कि माइक्रोप्लास्टिक न केवल मानव शरीर के अन्य अंगों में, बल्कि मस्तिष्क में भी बड़ी मात्रा में पाया जा रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि मानव मस्तिष्क में शरीर के अन्य अंगों की तुलना में 10-20 गुना अधिक बारीक प्लास्टिक कण होते हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में आपातकाल लागू करने की सलाह दी है।

चौंकाने वाले आंकड़े

तुर्की के कैकुरोवा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक सेदत गंडोडू के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में 91 मस्तिष्क नमूनों की जांच की गई। शोध में पाया गया कि मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा अन्य अंगों की तुलना में कई गुना अधिक है। न्यू मैक्सिको विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मैथ्यू कैम्पेन के अनुसार, मानव मस्तिष्क में पांच से 10 ग्राम बारीक प्लास्टिक कण होते हैं, जो प्लास्टिक के चम्मच के वजन के बराबर है।

अध्ययन में डिमेंशिया के मरीजों के मस्तिष्क में स्वस्थ लोगों की तुलना में 10 गुना अधिक माइक्रोप्लास्टिक पाया गया। इससे यह आशंका और बढ़ गई है कि माइक्रोप्लास्टिक के कारण कैंसर, दिल का दौरा, डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि माइक्रोप्लास्टिक के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए सिंगल-यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह बंद किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, वैश्विक स्तर पर इस समस्या से निपटने के लिए आपातकाल लागू किया जाना चाहिए, ताकि मानव स्वास्थ्य को होने वाले इस गंभीर खतरे से बचाया जा सके।

माइक्रोप्लास्टिक का मानव मस्तिष्क तक पहुंचना एक गंभीर और चिंताजनक स्थिति है, जो हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक बड़े खतरे का संकेत देती है। यह अध्ययन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सिंगल-यूज प्लास्टिक का व्यापक उपयोग अब मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा बन गया है। वैज्ञानिकों की सलाह पर ध्यान देते हुए, प्लास्टिक के उपयोग में तत्काल कटौती और इस समस्या से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर आपातकाल लागू करना आवश्यक है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में माइक्रोप्लास्टिक से जुड़ी बीमारियों का खतरा और बढ़ सकता है, जिससे मानवता को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

source- हिंदुस्तान समाचार पत्र

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