नई दिल्ली। दैनिक जीवन में जैतून के तेल का सेवन डिमेंशिया का खतरा कम करता है। जैतून के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। डिमेंशिया के रोगियों में मानसिक स्वास्थ्य के लिए ओमेगा-3 की अधिक मात्रा को बेहतर माना जाता है। एक नई अध्ययन में हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के संबंधित पोषणविज्ञानी और स्वास्थ्य शोधकर्ताओं ने इस जानकारी को दी है। उसके परिणाम JAMA नेटवर्क ओपन में प्रकाशित किए गए हैं।
92,383 वयस्कों के डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि जिन लोगों ने प्रतिदिन कम से कम सात ग्राम जैतून के तेल का सेवन किया, उन्हें डिमेंशिया या संबंधित रोगों से मृत्यु होने का 28 प्रतिशत कम खतरा था। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, 92,383 रोगियों में से 4,751 डिमेंशिया-संबंधित कारणों से मर गए थे। उन्होंने बहुत कम या कभी भी जैतून के तेल का सेवन नहीं किया था।
विश्लेषण के द्वारा उजाला नेटवर्क द्वारा खोजा गया 2 हजार वयस्कों के डेटा का
अधिक से अधिक 5.7 करोड़ पीड़ित… दुनिया भर में 5.7 करोड़ से अधिक लोग डिमेंशिया के पीड़ित हैं। अनुमान है कि 2050 तक, डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या 166 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 153 मिलियन तक बढ़ जाएगी। कुछ मामूली कारणों के कारण वायु प्रदूषण इनमें से लगभग 40 प्रतिशत के मामलों के लिए जिम्मेदार होगा।
अन्य उत्पाद कम उपयोग
अध्ययन में शामिल बहुत से लोग थे। उनमें वे भी थे जो प्रतिदिन जैतून के तेल का सेवन करते थे। उन्होंने मक्खन, मेयोनेज़ और सब्जी तेल के बजाय खाना पकाने और स्वादिष्ट करने के लिए जैतून के तेल का उपयोग किया। इसके कारण, इन लोगों ने उन अन्य उत्पादों का भी कम उपयोग किया जो डिमेंशिया की दर को प्रभावित कर सकते थे।