उत्तरी बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास के क्षेत्रों में एक कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जो चक्रवात में तब्दील हो सकता है। भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि अगले 48 घंटों में यह और मजबूत हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप 4 से 8 अक्टूबर तक पश्चिम बंगाल समेत 13 राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।
मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और कई अन्य राज्यों से मानसून लौट चुका है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी बारिश और बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। मन्नार और बंगाल की खाड़ी में बन रहे चक्रवात के कारण हवाओं की रफ्तार 55 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुँच सकती है। विभाग ने विशेष रूप से मछुआरों को अगले सात दिनों तक उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में नहीं जाने की सलाह दी है।
संभावित बारिश का क्षेत्र
4 से 8 अक्टूबर के बीच पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और कर्नाटक में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा, 5 और 6 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली-एनसीआर में भी बादल छाए रहने की संभावना है, साथ ही कुछ जगहों पर हल्की बारिश भी हो सकती है।
बिहार में बाढ़ की गंभीर स्थिति
बिहार में कोसी, गंडक, बागमती, महानंदा और गंगा जैसी प्रमुख नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा और सारण समेत 17 बाढ़ प्रभावित जिलों में लाखों लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। राहत कार्यों के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कुल 33 टीमें तैनात की गई हैं, और प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 975 नावें भी चल रही हैं।
भागलपुर में गुरुवार को भारी बारिश और पानी के दबाव के कारण पीरपैंती बाखरपुर मुख्य मार्ग पर मुस्तफापुर चौखंडी पुल गंगा की तेज धारा में बह गया, जिससे कई गांवों का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट गया।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है, जिसके कारण हाल के दशकों में सतही वायु तापमान में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसके परिणामस्वरूप लू और भारी वर्षा जैसी चरम मौसम स्थितियों की आवृत्ति, अवधि और तीव्रता में वृद्धि हुई है। इसका प्रभाव जीव-जंतुओं और पौधों पर भी पड़ा है, जबकि तापमान वृद्धि के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। यह स्थिति खासकर चक्रवातों के दौरान तटीय क्षेत्रों में गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर रही है।
डॉ. महापात्र ने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन मानव निर्मित गतिविधियों के कारण हो रहा है, जिसमें ग्रीनहाउस गैसों की वृद्धि शामिल है। बंगाल की खाड़ी में बन रहा चक्रवात और बिहार में बाढ़ की गंभीर स्थिति एक बार फिर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को उजागर करती है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों की आवश्यकता है, और मौसम विभाग द्वारा जारी की गई चेतावनियाँ लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। सभी संबंधित एजेंसियों को इस संकट का सामना करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
बंगाल की खाड़ी में बन रहे चक्रवात और बिहार में बाढ़ की गंभीर स्थिति ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को उजागर किया है। मौसम विभाग की चेतावनियाँ, विशेष रूप से मछुआरों और प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों के लिए, सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
राज्य और केंद्रीय प्रशासन को राहत और बचाव कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करना चाहिए ताकि प्रभावित लोगों की जान और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाली चरम मौसम स्थितियों से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना और संसाधनों का समुचित प्रबंधन आवश्यक है।
यह समय है कि सभी संबंधित एजेंसियाँ और समुदाय मिलकर इस संकट का सामना करें और भविष्य में ऐसे संकटों के प्रभाव को कम करने के लिए ठोस कदम उठाएँ। इससे न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि भविष्य के लिए भी एक सुरक्षित और स्थायी पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे।